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    नई पीढ़ी में तंबाकू से बचाने की मुहिम, स्कूल-कॉलेज और कोचिंग संस्थानों जागरुकता अभियान चलाने के निर्देश

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    नई पीढ़ी को तंबाकू से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण अभियान शुरू किया गया है। स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थानों में जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। इसका उद्देश्य युवाओं को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों से अवगत कराना और उन्हें इससे दूर रहने के लिए प्रेरित करना है। शैक्षणिक संस्थानों को इन निर्देशों का पालन करने के लिए कहा गया है।

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    नई पीढ़ी में तंबाकू से बचाने की मुहिम।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्कूल, कॉलेज सहित दूसरे शैक्षणिक संस्थान अब सिर्फ पढ़ा-लिखाकर ही देश की नई पीढ़ी को नहीं संवारेंगे बल्कि उन्हें तंबाकू सहित दूसरी बुराइयों से बचाने की भी मुहिम चलाएंगे।

    शिक्षा मंत्रालय ने बड़ों के साथ बच्चों में भी तंबाकू के इस्तेमाल की बढ़ती लत को देखते हुए देश भर में ' तंबाकू मुक्त पीढ़ी' नाम से बड़ा अभियान शुरू किया है। जिसमें स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, कोचिंग सहित देश भर के सभी शैक्षणिक और प्रशिक्षण संस्थान हिस्सा लेंगे। साथ ही संस्थान और उसके आसपास एक ऐसा परिवेश तैयार करेंगे, जिससे देश की नई पीढ़ी को तंबाकू के किसी भी तरह के इस्तेमाल से बचाया जा सके।

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    शिक्षा मंत्रालय ने इस दौरान ऐसे शैक्षणिक संस्थानों को तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान का भी दर्जा देने का फैसला लिया है जो मंत्रालय की ओर से तय किए गए मानकों पर खरे उतरेंगे। इस दौरान उन्हें सबसे पहले अपने संस्थान को तंबाकू मुक्त क्षेत्र घोषित करना होगा। यानी वहां कोई भी तंबाकू का इस्तेमाल न करता हो। संस्थान को इसका बोर्ड भी लगाना होगा। साथ ही परिसर में तंबाकू के इस्तेमाल के कोई सबूत भी नहीं दिखने चाहिए।

    इसके अलावा संस्थान परिसर से करीब 100 मीटर की दूरी के क्षेत्र को रेड जोन घोषित किया जाना चाहिए, जहां तंबाकू के किसी भी तरह के उत्पादों की बिक्री न होती हो।

    मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में कहा है कि वह यह सुनिश्चित करें कि सभी शैक्षणिक संस्थान तंबाकू मुक्त पीढ़ी को गढ़ने के अभियान से जुड़े। मंत्रालय ने इस दौरान सभी शैक्षणिक संस्थानों से तंबाकू के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान को लेकर बच्चों के बीच असेंबली से लेकर कक्षाओं तक में जानकारी दें।

    साथ ही यदि कोई बच्चा इसका इस्तेमाल कर रहा है, उसे इसको छुड़वाने के लिए काम करें। संस्थान में नियमित रूप से तंबाकू से होने वाले नुकसान से प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रमों की आयोजन करें। मंत्रालय ने कहा है कि वैसे तो यह अभियान सिर्फ 60 दिनों का है लेकिन स्कूल और दूसरे शैक्षणिक संस्थान इसे लेकर साल भर काम करें।

    अभियान की जरूरत क्यों पड़ी

    मंत्रालय के मुताबिक इस अभियान की जरूरत इसलिए पड़ी है, क्योंकि देश में तंबाकू के इस्तेमाल करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्लूएचओ) की 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब दस साल की उम्र से ही बच्चों में तंबाकू खाने या धूम्रपान की लत देखने को मिल रही है जबकि स्कूल जाने वाले 13 से 15 साल तक की उम्र के बच्चों में यह प्रतिशत 8.4 प्रतिशत है।

    माना जा रहा है कि बच्चों में तेजी से फैल रही इस बुराई को यदि समय रहते नहीं थामा गया तो तो यह विकराल रूप ले लेगी। वैसे भी रिपोर्ट की मानें तो देश में हर साल करीब 13 लाख लोगों यानी हर दिन 3500 लोगों की मौत तंबाकू के किसी न किसी तरह से होने वाले इस्तेमाल से हो रही है।