Prashant Bhushan Contempt Case: प्रशांत भूषण की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
Prashant Bhushan Contempt Case सुप्रीम कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण के अवमानना मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। न्यायमूर्ति के अवमानना वाले ट्वीट के लिए भूषण के माफी न मांगने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि माफी मांगने में क्या गलत है, क्या यह शब्द इतना बुरा है। वहीं, सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में चेतावनी देकर छोड़ दिया जाना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए। हमने प्रशांत भूषण को समय दिया, लेकिन उनका कहना है कि वह माफी नहीं मांगेंगे। शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि प्रशांत भूषण का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का पतन हुआ है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है। न्यायपालिका के खिलाफ अपने अपमानजनक ट्वीट को लेकर खेद नहीं प्रकट करने के रुख पर दोबारा विचार करने के लिए कोर्ट ने प्रशांत भूषण को 30 मिनट का समय दिया गया था।
वहीं, इसके पहले कोर्ट ने 20 अगस्त को भूषण की सजा पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले कोर्ट ने भूषण को बिना शर्त माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया था, लेकिन उन्होंने माफी मांगने से इन्कार कर दिया। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पूरक बयान में प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर वह माफी मांगते हैं तो ऐसा करना उनकी नजर में उनकी अंतरात्मा और इस संस्था की अवमानना होगी। सुप्रीम कोर्ट प्रशांत भूषण को प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे व पूर्व चार प्रधान न्यायाधीशों के बारे में दो ट्वीट करने के लिए न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया गया है।
2009 अवमानना केस 10 सितंबर तक स्थगित
वहीं, दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 के अवमानना मामले में सुनवाई को 10 सितंबर तक स्थगित किया। यह मामला तहलका मैगजीन मे छपे प्रशांत भूषण के इंटरव्यू का है जिसमे भूषण ने भ्रष्टाचार के संबंध मे न्यायपालिका पर टिप्पणी की थी। इस मामले मे तहलका के एडीटर तरुण तेजपाल पर भी अवमानना का मामला चल रहा है।कोर्ट ने कहा कि राजीव धवन की ओर से उठाए गए सवालों पर लंबी सुनवाई की जरूरत है। अभी समय कम है। मामला उचित पीठ में लगाने केलिए सीजेआइ के समक्ष पेश किया जाए। अभी सुनवाई पीठ के जस्टिस अरुण मिश्रा 2 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं।