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    सुप्रीम कोर्ट ने 16 राज्यों के मुख्य एवं वित्त सचिवों को क्यों किया समन? CJI चंद्रचूड़ ने इस मामले पर जताई नाराजगी

    By Agency Edited By: Sonu Gupta
    Updated: Thu, 11 Jul 2024 09:13 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों के गैर-अनुपालन पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने इस मामले में 16 राज्यों के मुख्य एवं वित्त सचिवों को समन जारी करने का आदेश दिया है। पीठ ने कहा कि हम उन्हें जेल नहीं भेज रहे हैं लेकिन उन्हें यहां आने दीजिए फिर हलफनामा दाखिल होगा। उन्हें अभी व्यक्तिगत रूप से पेश होने दीजिए।

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    भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़। फाइल फोटो।

    पीटीआई, नई दिल्ली। न्यायिक अधिकारियों को पेंशन बकाये एवं अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान पर दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) की सिफारिशों के गैर-अनुपालन पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने 16 राज्यों के मुख्य एवं वित्त सचिवों को समन जारी करने का आदेश दिया।

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    कोर्ट ने जाहिर की नाखुशी

    एसएनजेपीसी की सिफारिशों का अनुपालन नहीं किए जाने पर सख्त नाखुशी जाहिर करते हुए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला एवं जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, 'हमें पता हैं कि अब अनुपालन कैसे कराना है। अगर हम सिर्फ यह कहेंगे कि अगर हलफनामा दायर नहीं किया तो मुख्य सचिव को पेश होना होगा, तो यह दायर नहीं होगा।'

    हम उन्हें जेल नहीं भेज रहे हैं, लेकिन उन्हें यहां आने दीजिए, फिर हलफनामा दाखिल होगा। उन्हें अभी व्यक्तिगत रूप से पेश होने दीजिए। यद्यपि राज्यों को सात अवसर दिए गए हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि पूर्ण अनुपालन नहीं हुआ है और कई राज्यों ने चूक की है।- पीठ

    व्यक्तिगत रूप से होना होगा उपस्थित

    पीठ ने कहा कि मुख्य और वित्त सचिवों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा। ऐसा न करने पर अदालत अवमानना का मामला शुरू करने पर बाध्य होगी।

    कोर्ट ने इन राज्यों के शीर्ष अधिकारियों को किया समन

    पीठ ने आंध्र प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, असम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, केरल, मेघालय, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, मणिपुर, ओडिशा एवं राजस्थान के शीर्ष अधिकारियों को 23 अगस्त से पहले पेश होने को कहा है। पीठ ने स्पष्ट किया वह और समय प्रदान नहीं करेगी।

    अदालत ने प्रस्तुत दलीलों पर गौर करने और न्यायमित्र के. परमेश्वर द्वारा उपलब्ध कराए गए नोट का अवलोकन करने के बाद यह आदेश पारित किया। 

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