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    SC, ST और OBC सीटें खाली रहने पर हो सकेंगी अनारक्षित! उच्च शिक्षा में आरक्षण पर यूजीसी ने पेश किया दिशा-निर्देशों का मसौदा

    By Agency Edited By: Babli Kumari
    Updated: Sun, 28 Jan 2024 08:31 PM (IST)

    भारत सरकार की उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षण नीति लागू करने के दिशा-निर्देश के तहत Central Grants Commission यूजीसी समेत सभी हितधारकों से उनकी राय मांगी गई है।उच्च शिक्षा को लेकर यूजीसी के दिशा-निर्देशों के नए मसौदे में कहा गया है कि निर्धारित कानून का पालन करते हुए एक रिक्त आरक्षित सीट से आरक्षण हटाया जा सकता है। यानी उसे विआरक्षित (डिरिजर्वड) घोषित किया जा सकता है।

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    आरक्षित सीट रिक्त रहने पर उसे किया जा सकेगा 'विआरक्षित' (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय अनुदान आयोग (यूजीसी) दिशा-निर्देशों के नए मसौदे में कहा है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित श्रेणी की रिक्त सीटों के पर्याप्त उम्मीदवार नहीं मिलने पर उसे अनारक्षित घोषित किया जा सकता है।

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    'भारत सरकार की उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षण नीति लागू करने के दिशा-निर्देश' के तहत यूजीसी समेत सभी हितधारकों से उनकी राय मांगी गई है।उच्च शिक्षा को लेकर यूजीसी के दिशा-निर्देशों के नए मसौदे में कहा गया है कि निर्धारित कानून का पालन करते हुए एक रिक्त आरक्षित सीट से आरक्षण हटाया जा सकता है। यानी उसे विआरक्षित (डिरिजर्वड) घोषित किया जा सकता है। फिर उस सीट को अनारक्षित (अनरिजर्वड) के तौर पर भरा जा सकेगा।

    आरक्षित सीट रिक्त रहने पर उसे किया जा सकेगा 'विआरक्षित'

    मसौदे में कहा गया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में एक रिक्त सीट जो अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित है, वह खाली रह जाने की स्थिति में आवश्यकतानुसार इन तीन आरक्षित श्रेणियों से इतर श्रेणी में भरी जा सकेगी। आमतौर पर सीधी भर्तियों के मामले में किसी भी आरक्षित सीट के 'विआरक्षण' पर प्रतिबंध रहता है।

    यूजीसी ने 'विआरक्षण' के प्रस्ताव पर दी अपनी मंजूरी

    शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी के उपयुक्त प्राधिकार ने 'विआरक्षण' के प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी दी है और इसे विश्वविद्यालयों में एससी, एसटी के मामले देखने वाले लाइजन अफसर देखेंगे और मंजूरी देंगे। इसके क्रियान्वयन को लेकर विश्वविद्यालय में एससी-एसटी के लिए लाइजन अफसर और नियुक्ति अधिकारी के बीच असहमति की स्थिति में कार्मिक विभाग की सलाह को माना जाएगा और उसका ही अनुपालन होगा। लेकिन कुछ तय शर्तें पूरी होने के बाद ही इन मामलों को यूजीसी और शिक्षा मंत्रालय के समक्ष लाया जा सकेगा।

    'विआरक्षण' का भी देना होगा उचित कारण

    मसौदे में बताया गया है कि दुर्लभ और अपवाद वाले मामलों में जब जनहित में 'समूह-ए' सेवा में किसी सीट को खाली रहने नहीं दिया जा सकता है तो संबंधित विश्वविद्यालय सूचित रिक्त पड़ी सीट के 'विआरक्षण' यानी उस आरक्षित सीट से आरक्षण हटाने की प्रक्रिया को अपना सकता है। इन प्रयासों के तहत विश्वविद्यालय को स्पष्ट करना होगा कि उस सीट को खाली क्यों नहीं रहने दिया जा सकता और उसके 'विआरक्षण' का भी उचित कारण देना होगा। दिशा-निर्देशों के मसौदे में बताया गया है कि 'समूह-सी' और 'समूह-डी' 'विआरक्षण' के प्रस्ताव का मामला विश्वविद्यालय के अधिशासी परिषद में जाएगा जबकि 'समूह-ए' और 'समूह-बी' का मामला पूरे ब्योरे के साथ शिक्षा मंत्रालय को सौंपा जाएगा।

    जेएनयू के छात्र संगठन करेंगे विरोध प्रदर्शन

    प्रोन्नति के मामले में पर्याप्त मात्रा में एससी या एसटी के उम्मीदवारों के लिए रिक्त स्थान भरे नहीं जा सके हैं तो उन सीटों को भी 'विआरक्षण' की श्रेणी में लाया जा सकता है। पब्लिक डोमेन में उपलब्ध इन नए दिशा-निर्देशों पर कई धड़ों से विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं। जेएनयू के छात्र संगठन जेएनयूएसयू ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है और वह यूजीसी के अध्यक्ष एम.जगदीश कुमार का पुतला भी फूंकेंगे। इन दिशा-निर्देशों की आलोचना पर एम.जगदीश कुमार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की है।

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