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    Custodial death case: SC ने गुजरात सरकार से संजीव भट्ट की याचिका पर मांगा जवाब, 18 अप्रैल तक सुनवाई स्थगित

    By Jagran NewsEdited By: Babli Kumari
    Updated: Tue, 28 Mar 2023 03:00 PM (IST)

    Custodial death case सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को संजीव भट्ट की उस याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। संजीव भट्ट ने मौत के मामले में अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है।

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    SC ने गुजरात सरकार से संजीव भट्ट की याचिका पर मांगा जवाब (फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, एजेंसी। उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार को बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की उस याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का मंगलवार को निर्देश दिया, जिसमें उन्होंने 1990 के हिरासत में मौत के मामले में दोषी ठहराए जाने के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय में अपनी अपील के समर्थन में अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है।

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    बर्खास्त आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी भट्ट ने प्रभुदास वैष्णनी की हिरासत में मौत के 1990 के एक मामले में अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। वैष्णनी को सांप्रदायिक दंगों के बाद जामनगर पुलिस ने पकड़ा था।

    न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति सी. टी.रविकुमार की पीठ ने कहा कि इस मामलें में कोई औपचारिक नोटिस जारी करने की जरूरत नहीं है क्योंकि वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह पहले की राज्य की ओर से पेश हो गए हैं।

    11 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का दिया निर्देश 

    शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को 11 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले को 18 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया। भट्ट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि गुजरात सरकार ने कई बार मामले पर स्थगन मांगने के बावजूद जवाब दाखिल नहीं किया है।

    भट्ट ने हिरासत में मौत के 30 साल पुराने मामले में उम्रकैद की सजा को निलंबित करने की अपनी याचिका अगस्त 2022 में सर्वोच्च अदालत से वापस ले ली थी।

    जून 2019 में सुनाई गई थी उम्रकैद की सजा 

    उच्च न्यायालय ने पहले भट्ट की सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उनके मन में अदालतों के प्रति बहुत सम्मान नहीं है और उन्होंने जानबूझकर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की कोशिश की। उन्हें मामले में जून 2019 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

    यह मामला प्रभुदास वैष्णानी की हिरासत में मौत से संबंधित है, जो भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के मद्देनजर एक सांप्रदायिक दंगे के बाद जामनगर पुलिस द्वारा पकड़े गए 133 लोगों में से थे।