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    एंबुलेंस में हर समय जीवन रक्षक सुविधाओं की मांग पर SC ने केंद्र से मांगा जवाब, सामने आ चुकी हैं कई घटनाएं

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 10:00 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने एंबुलेंस में जीवन रक्षक सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र बनाने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार से चार हफ्तों में जवाब मांगा है। याचिका में एंबुलेंस के संचालन, रखरखाव और नियमन की समीक्षा के लिए एक स्वतंत्र समिति के गठन की भी मांग की गई है।  

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    एंबुलेंस में हर समय जीवन रक्षक सुविधाओं की मांग पर SC ने केंद्र से मांगा जवाब (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एंबुलेंस में हर समय पर्याप्त जीवन रक्षक सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र बनाने और उसे क्रियान्वित करने के निर्देश देने की मांग वाली एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और अन्य से चार हफ्तों में जवाब मांगा है।

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    याचिका में सड़क एंबुलेंस के संचालन, रखरखाव और नियमन की वर्तमान वास्तविक स्थिति की समीक्षा करने के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है ताकि जमीनी हकीकत और मौजूदा एसओपी के बीच अंतर का पता लगाया जा सके।

    याचिका पर नोटिस जारी

    प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया। याचिका में केंद्र, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को पक्षकार बनाया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता पर्सीवल बिलिमोरिया और अधिवक्ता जैस्मीन दामकेवाला याचिकाकर्ताओं सायंशा पनंगीपल्ली और प्रिया सरकार की ओर से पेश हुए।

    पनंगीपल्ली प्रख्यात कार्डियो-थोरासिक सर्जन डा. पी. वेणुगोपाल की पुत्री हैं, जो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व निदेशक थे। प्रिया सरकार वेणुगोपाल की पत्नी हैं। याचिकाकर्ताओं को एंबुलेंस में आपातकालीन सुविधाओं की कमी का अहसास तब हुआ, जब डा. वेणुगोपाल ने स्वयं अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में पहुंचने से पहले दम तोड़ दिया था।

    एंबुलेंस में संसाधनों की कमी

    एंबुलेंस में आपातकालीन जीवन रक्षक सुविधाओं की भारी कमी के कारण उन्हें आक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा था। याचिकाकर्ताओं ने पाया कि लागू करने योग्य नियमों के अभाव में देशभर में एंबुलेंस में पर्याप्त आपातकालीन संसाधनों की कमी एक बड़ी चिंता का विषय है। एंबुलेंस में आवश्यक जीवन रक्षक सुविधाओं की कमी के कारण कई जानें अनावश्यक रूप से चली गईं, जिन्हें बचाया जा सकता था।

    याचिका के अनुसार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की 16वीं सामान्य समीक्षा मिशन रिपोर्ट में सभी राज्यों की एंबुलेंस में अपर्याप्तता और कुप्रबंधन का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में भारत में एंबुलेंसों के संचालन में विभिन्न कमियों को उजागर किया गया है और सड़क एंबुलेंसों की स्थिति का राज्यवार विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।

    क्या-क्या कमी मिली?

    नीति आयोग ने भी दिसंबर, 2023 में दो व्यापक रिपोर्टें जारी की थीं जिनमें सड़क एंबुलेंसों के संचालन में कमियों की पहचान की गई थी। इनके मुताबिक देश में 90 प्रतिशत एंबुलेंस उचित उपकरणों और आक्सीजन जैसी बुनियादी सुविधाओं के बिना चल रही हैं।