Supreme Court ने कहा- फैसला पक्ष में नहीं आने पर कोर्ट की छवि धूमिल करने की बढ़ रहीं कोशिशें
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर राजनीतिक मामले में आदेश याचिकाकर्ता की पसंद का नहीं आता है तो ऐसी स्थिति में शीर्ष अदालत और जजों की छवि धूमिल करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर राजनीतिक मामले में आदेश याचिकाकर्ता की पसंद का नहीं आता है तो ऐसी स्थिति में शीर्ष अदालत और जजों की छवि धूमिल करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। तुषार मेहता ने यह टिप्पणी उस समय की जब प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ के समक्ष छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने ईडी की याचिका को किसी दूसरी तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने की मांग की।
तुषार मेहता की टिप्पणी पर बोले सिब्बल
तुषार मेहता की टिप्पणी का जवाब देते हुए सिब्बल ने कहा कि यह बिल्कुल अनुचित है। ईडी ने राज्य के नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले से जुड़े पीएमएलए केस को राज्य के बाहर स्थानांतरित करने की मांग की है। इस मामले में राज्य के कुछ वरिष्ठ नौकरशाह भी आरोपित हैं। जब उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए सिब्बल मामले का उल्लेख कर रहे थे तो मेहता ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कोई भी पीठ का चयन नहीं कर सकता अथवा किसी पीठ से बच नहीं सकता और यह वह गंभीरता से कह रहे हैं।
बढ़ रहा अदालतों को बदनाम करने का चलन
वहीं दूसरी ओर, लीज से जुड़े मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एक जज पर आरोप लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दो वकीलों समेत अन्य लोगों को अवमानना नोटिस जारी करते हुए शुक्रवार को कहा कि अदालतों को बदनाम करने का प्रवृत्ति बढ़ रही है। अदालत को कथित रूप से बदनाम करने के प्रयास पर कड़ी आपत्ति जताते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि न्यायाधीश त्रुटिरहित नहीं होते और उनसे भी गलत आदेश पारित हो सकता है जिसे बाद में रद किया जा सकता है, लेकिन न्यायाधीश के इरादों पर दोष मढ़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने कहा
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने कहा, 'आपने एक आदेश पारित करने के लिए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के मकसद पर आरोप लगाया है जो (आदेश) सही या गलत हो सकता है।' सुप्रीम कोर्ट अगस्त में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की खंडपीठ द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। हाई कोर्ट की खंडपीठ में मुख्य न्यायाधीश भी हिस्सा थे।