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    एकनाथ शिंदे या उद्धव ठाकरे, शिवसेना पर किसका अधिकार? सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

    By AgencyEdited By: Manish Negi
    Updated: Thu, 16 Feb 2023 03:07 PM (IST)

    शिवसेना के अधिकार के मामले को बड़ी बेंच के पास भेजे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। 5 जजों की बेंच इस पर फैसला लेगी कि मामले को सात जजों की बेंच के पास भेजा याए या नहीं।

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    एकनाथ शिंदे या उद्धव ठाकरे, शिवसेना पर किसका अधिकार?

    नई दिल्ली, पीटीआई। महाराष्ट्र में बीते साल शिवसेना के बंटवारे के बाद पैदा हुए राजनीतिक संकट से संबंधित याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। इन याचिकाओं को 2016 के नबाम-रेबिया फैसले पर पुनर्विचार के लिए सात न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाएगा या नहीं, इस पर अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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    नबाम-रेबिया का फैसला याचिकाओं से निपटने के लिए विधानसभा अध्यक्षों की शक्तियों से संबंधित है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुटों की ओर से पेश वकीलों की दलीलें सुनीं। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा, "दोनों पक्षों के वकीलों को सुना। मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने के लिए नबाम रेबिया केस हवाला दिया जाए, इसको लेकर सुनवाई हुई। आदेश सुरक्षित रख लिया गया है।"

    सात सदस्यीय बेंच को सौंपने की मांग

    शिवसेना (उद्धव गुट) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले को सात सदस्यीय बेंच को सौंपने की मांग की है। उद्धव गुट की तरफ से नबाम रेबिया के फैसले पर भी विचार करने की अपील की गई है।

    मामले को बड़ी बेंच के पास भेजे जाने का विरोध

    वहीं, शिंदे ग्रुप की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और एनके कौल ने मामले को बड़ी बेंच के पास भेजे जाने का विरोध किया। महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस मामले को बड़ी पीठ को सौंपने के किसी भी कदम का विरोध किया।

    क्या है नबाम रेबिया केस?

    गौरतलब है कि साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश के बर्खास्त सीएम नबाम तुकी के नेतृत्व वाली सरकार को बहाल करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर विधानसभा स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव सदन में लंबित है तो विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।

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