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    'गवर्नर के पास वीटो पावर नहीं, बिल अटकाए रखना अवैध', तमिलनाडु सरकार Vs राज्यपाल मामले पर SC की अहम टिप्पणी

    By Agency Edited By: Mahen Khanna
    Updated: Tue, 08 Apr 2025 12:35 PM (IST)

    SC to Tamil Nadu Governor सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल आर एन रवि के बीच तकरार पर आज एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति के विचार के लिए राज्यपाल द्वारा 10 विधेयकों को रोकना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है। जस्टिस जे बी पारदीवाला और आर महादेवन की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास कोई विवेकाधिकार नहीं है।

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    SC to Tamil Nadu Governor सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी।

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद पर अहम टिप्पणी की। न्यायालय ने कहा कि राज्यपाल आर एन रवि द्वारा राष्ट्रपति के विचार के लिए 10 विधेयकों को रोकना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है।

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    'आपके पास कोई विवेकाधिकार नहीं'

    जस्टिस जे बी पारदीवाला और आर महादेवन की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास कोई विवेकाधिकार नहीं है और उन्हें अनिवार्य रूप से मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर काम करना होता है। संविधान का अनुच्छेद 200 विधेयकों पर सहमति से संबंधित है।

    राज्यपाल को वीटो का अधिकार नहीं

    पीठ ने कहा कि राज्यपाल सहमति को रोककर पूर्ण वीटो या पॉकेट वीटो की अवधारणा को नहीं अपना सकते। पीठ ने आगे कहा कि राज्यपाल एक ही रास्ता अपनाने के लिए बाध्य है - विधेयकों पर सहमति देना, या बिल को रोकना और राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करना।

    ...तो राज्यपाल को देनी ही होगी सहमति

    सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्यपाल के पास ये विकल्प नहीं है कि वह विधेयक को दूसरी बार राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद विचार के लिए रोके। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को दूसरे दौर में उनके समक्ष प्रस्तुत विधेयकों पर अपनी सहमति देनी होगी और एकमात्र अपवाद यह होगा कि दूसरे दौर का विधेयक पहले दौर के विधेयक से भिन्न हो।