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    SC News: पिता दलित और मां की अलग जाति, क्या बच्चों को मिलेगा आरक्षण का लाभ? सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

    Updated: Fri, 06 Dec 2024 10:42 AM (IST)

    SC News सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर-दलित महिला और एक दलित व्यक्ति के बीच विवाह को रद्द करते हुए उनके बच्चों के रिजर्वेशन के हक पर अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ...और पढ़ें

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    SC News सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन पर सुनाया अहम फैसला। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। SC News सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर एक अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर-दलित महिला और एक दलित व्यक्ति के बीच विवाह को रद्द कर दिया। 

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    कोर्ट ने इसी के साथ पति को अपने नाबालिग बच्चों के लिए अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने का आदेश दिया, जो पिछले छह वर्षों से अपनी मां के साथ रह रहे हैं। 

    बच्चों को मिलेगा SC टैग

    जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने जूही पोरिया नी जावलकर और प्रदीप पोरिया को तलाक देते हुए कहा कि एक गैर-दलित महिला शादी के माध्यम से अनुसूचित जाति समुदाय की सदस्यता प्राप्त नहीं कर सकती है, लेकिन अनुसूचित जाति के पुरुष से पैदा हुए उसके बच्चे एससी टैग के हकदार होंगे। 

    दलित व्यक्ति से शादी से नहीं बदलती जाति

    सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में इस बात को दोहराया है और 2018 में एक फैसला भी दिया था कि इस बात पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि जाति जन्म से निर्धारित होती है और अनुसूचित जाति (समुदाय) के व्यक्ति से शादी करके जाति नहीं बदली जा सकती है। 

    बच्चों को मिलेंगे एससी कोटे के अधिकार

    बता दें कि 11 वर्षीय बेटा और छह वर्षीय बेटी पिछले छह वर्षों से रायपुर में अपने नाना-नानी के घर गैर-दलित महिला के साथ रह रहे हैं। कोर्ट ने इसी के साथ दोनों बच्चों को एससी जाति प्रमाणपत्र हासिल करने का फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चों को सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और रोजगार के उद्देश्य से अनुसूचित जाति माना जाएगा।

    ट्यूशन फीस भी पिता देगा

    न्यायमूर्ति कांत की अगुवाई वाली पीठ ने पति से कहा कि वह संबंधित अधिकारियों से संपर्क करे और छह महीने के भीतर दोनों बच्चों के लिए एससी प्रमाण पत्र प्राप्त करे। कोर्ट ने कहा कि वह स्नातकोत्तर तक उनकी शिक्षा का सारा खर्च वहन करेगा, जिसमें प्रवेश और ट्यूशन फीस के साथ-साथ बोर्डिंग और लॉजिंग खर्च भी शामिल है।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला और बच्चों के आजीवन भरण-पोषण के लिए एकमुश्त समझौते के अतिरिक्त पुरुष को ये राशि देनी होगी। महिला को 42 लाख रुपये एकमुश्त रूप से पति से मिलेंगे।

    क्रॉस-एफआईआर रद्द की

    इसके अलावा, पति रायपुर में अपनी जमीन का एक प्लॉट भी महिला को देगा। दिलचस्प बात यह है कि पीठ ने अलग-थलग पड़े दंपती के बीच हुए समझौते में एक प्रावधान को भी प्रभावी कर दिया है, जिसके तहत पति को अगले साल 31 अगस्त तक महिला को निजी इस्तेमाल के लिए दोपहिया वाहन खरीदना होगा।

    पीठ ने एक-दूसरे के खिलाफ दर्ज क्रॉस-एफआईआर को भी रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने महिला को निर्देश दिया कि वह बच्चों को समय-समय पर उनके पिता से मिलवाए, उन्हें छुट्टी पर ले जाने दे और उनके बीच अच्छे संबंध बनाए।