राजस्थान के पुलिस थानों में CCTV नहीं होने पर SC ने की कड़ी टिप्पणी, राज्यों से किया जवाब तलब
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के थानों में पूछताछ कमरों में CCTV कैमरे न होने पर सख्त सवाल उठाए हैं। जस्टिसों ने इसे मानवाधिकार का मुद्दा बताते हुए कहा कि कैमरे सबसे जरूरी हैं और निगरानी के लिए थर्ड पार्टी एजेंसी का सुझाव दिया। यह मुद्दा राजस्थान में पुलिस हिरासत में 11 मौतों की रिपोर्ट के बाद उठा।
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राजस्थान के पुलिस थानों में CCTV नहीं होने पर SC ने की कड़ी टिप्पणी (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राजस्थान के थानों में पूछताछ कमरों में CCTV कैमरे न होने पर सख्त सवाल उठाए हैं। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि पूछताछ कमरे वो जगह हैं जहां कैमरे सबसे जरूरी हैं।
कोर्ट ने माना की खर्च एक मुद्दा हो सकता है, लेकिन कहा- यह मानवाधिकार का सवाल है। जजों ने राज्य सरकार से पूछा कि जब कैमरे नहीं हैं तो पुलिस की कार्रवाई पर निगरानी कैसे रखी जाएगी? सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि CCTV फुटेज की निगरानी किसी थर्ड पार्टी एजेंसी को दी जाए।
क्या सुझाव दिए गए?
जस्टिसों ने कहा, "अगर इंफोसिस टैक्स सिस्टम संभाल सकता है और टाटा पासपोर्ट सेवा चला सकता है, तो CCTV निगरानी का काम भी ऐसी एजेंसी को दिया जा सकता है।" यह सुझाव न केवल पूछताछ कैमरों बल्कि सड़कों पर लगे कैमरों की निगरानी पर भी लागू होगा।
गौरतलब है कि कोर्ट ने 4 सितंबर को खुद संज्ञान लिया था, जब एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि राजस्थान में इस साल के पहले आठ महीनों में 11 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई।
कैमरे क्यों नहीं लगाए गए?
आज सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे, जिन्हें अदालत ने पहले एमिकस क्यूरी (न्यायमित्र) नियुक्त किया था उन्होंने बताया कि 2020 के आदेश के बावजूद 16 राज्यों, 3 केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्र सरकार ने अभी तक CCTV कैमरे पूरी तरह नहीं लगाए हैं।
उन्होंने निगरानी तंत्र (oversight mechanism) की मांग भी की। कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को कहा है कि वे दवे की रिपोर्ट पर अपना जवाब दाखिल करें। मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
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