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    Air India में पेशाब कांड की पीड़िता ने SC का किया रुख, शीर्ष अदालत ने केंद्र को जारी किया नोटिस

    By Jagran NewsEdited By: Shalini Kumari
    Updated: Mon, 08 May 2023 03:01 PM (IST)

    Air India Urination Case सुप्रीम कोर्ट में एक 72 वर्षीय महिला ने अनियंत्रित यात्रियों और ऑनबोर्ड पीड़ितों से निपटने के लिए अनिवार्य एसओपी और जीरो टॉलरेंस नियम तैयार करने की मांग करते हुए एक याचिका दाखिल की थी।

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    एयर इंडिया के पेशाब कांड पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट में एक 72 वर्षीय महिला ने अनियंत्रित यात्रियों और ऑनबोर्ड पीड़ितों से निपटने के लिए अनिवार्य एसओपी और जीरो टॉलरेंस नियम तैयार करने की मांग करते हुए एक याचिका दाखिल की थी। महिला ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि डीजीसीए और सभी एयरलाइंस को निर्देश दिया जाए कि वो इन पॉलिसी के तहत नियम बनाए।

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    जुलाई में होगी मामले पर सुनवाई

    इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया है।  दरअसल, इस महिला पर पिछले साल नवंबर में न्यूयॉर्क-दिल्ली एयर इंडिया की उड़ान में एक व्यक्ति ने नशे में धुत होकर पेशाब कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जे बी पादरीवाला की पीठ जुलाई में इस मामले पर सुनवाई करेगी।

    डीजीसीए और एयरलाइंस को निर्देश देने की मांग

    हेमा राजारमन नाम की महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) और अन्य सभी एयरलाइंस को यह निर्देश देने की मांग की थी कि अनियंत्रित यात्रियों और ऑनबोर्ड पीड़ितों से निपटने के लिए अनिवार्य एसओपी और जीरो टॉलरेंस नियम बनाए जाएं और यदि एयरलाइंस इन्हें लागू करने में विफल होती है, तो उस एयरलाइन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

    आरोपी को किया गया था गिरफ्तार

    आरोपी शंकर मिश्रा को 6 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि उन्होंने 26 नवंबर, 2022 को एयर इंडिया की एक फ्लाइट में महिला सहयात्री के ऊपर शराब के नशे में पेशाब कर दिया था। हालांकि, बाद में आरोपी को बरी कर दिया गया था।

    चालक दल से महिला को शिकायत

    महिला ने अपनी याचिका में कहा, "फ्लाइट के केबिन क्रू मेंबर ने उन्हें उसी बदबूदार और गिली थी। साथ ही, उन्होंने कहा कि बात तो तब बढ़ी जब चालक दल ने मुझे पेशाब करने वाले यात्री के साथ समझौता करने के लिए मजबूर किया।"

    याचिका में मंत्रालय और डीजीसीए से यात्रियों और एयरलाइन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए भारतीय वाहकों की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर शराब नीति पर दिशा-निर्देश निर्धारित करने और परोसी जाने वाली शराब की मात्रा पर सीमा निर्धारित करने के लिए दिशा-निर्देश देने की मांग की गई है।

    याचिका में पेश किया गया अनियंत्रित यात्रियों का आंकड़ा

    याचिका में 6 फरवरी को राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों का हवाला दिया गया है, जिसमें दिखाया गया है कि केवल 63 अनियंत्रित यात्रियों को 'नो फ्लाई' लिस्ट में रखा गया था। याचिका में कहा गया है कि कई और घटनाएं होंगी और कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, "दुनिया के तीसरे सबसे बड़े हवाई यातायात और 132 हवाई अड्डों के साथ, भारत को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उसके घरेलू और विदेशी यात्री सुरक्षा के साथ यात्रा कर सकें।