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    'मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं क्या'? असम सरकार को SC की फटकार; हिरासत केंद्रों में बंद लोगों पर एक्शन लेने को कहा

    By Agency Edited By: Mahen Khanna
    Updated: Tue, 04 Feb 2025 12:38 PM (IST)

    SC gets angry with Assam govt असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल उठाए। कोर्ट ने विदेशी घोषित किए गए लोगों को निर्वासित न करने के लिए असम सरकार पर नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने लोगों के निर्वासन को लेकर असम सरकार से ये भी पूछा कि क्या वो किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं।

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    SC gets angry with Assam govt असम सरकार पर बरस सुप्रीम कोर्ट।

    एजेंसी, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी घोषित किए गए लोगों को निर्वासित (डिपोर्ट) न करने के लिए असम सरकार पर नाराजगी जाहिर की है। असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल उठाए।

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    असम सरकार से नाराज हुआ सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार से सवाल करते हुए पूछा कि क्या वो इन लोगों को अनिश्चित काल तक हिरासत केंद्रों में रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने असम के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि निर्वासन संभव नहीं था क्योंकि प्रवासियों ने अपने विदेशी पते का खुलासा नहीं किया था।

    कोर्ट ने लोगों को डिपोर्ट करने को लेकर असम सरकार से ये भी पूछा कि क्या वो किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं।

    63 लोगों को देश से निकालने का दो हफ्ते का समय

    सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को दो सप्ताह के भीतर हिरासत केंद्रों में रखे गए 63 लोगों को निर्वासित करने का निर्देश दिया।

    हिमंत सरकार को दिया ये आदेश

    न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने असम सरकार से कहा कि वह सीमावर्ती राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अपडेट करने की प्रक्रिया के दौरान विदेशी घोषित किए वर्तमान में हिरासत केंद्रों में बंद 63 लोगों को वापस भेजे।

    सुप्रीम कोर्ट ने की खिंचाई

    राज्य सरकार की खिंचाई करते हुए न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि असम सरकार तथ्यों को दबा रही है। इस पर भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि उन्होंने कार्यपालिका के सर्वोच्च अधिकारी से बात की है और "कुछ कमियों" के लिए माफी मांगी है।

    न्यायमूर्ति ओका ने कहा, "हम आपको झूठी गवाही का नोटिस जारी करेंगे। आपको अपना अपराध स्वीकार करना चाहिए। राज्य के वकील ने जवाब दिया कि छिपाने का कोई इरादा नहीं है। न्यायमूर्ति ओका ने कहा, बेशक, ऐसा है। आपने सत्यापन की तिथि क्यों नहीं बताई? हलफनामा दोषपूर्ण है।"