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    Freebies: 'मुफ्त सुविधाओं के कारण लोग काम करने को तैयार नहीं', 'रेवड़ियां बांटने पर भड़का सुप्रीम कोर्ट

    Updated: Wed, 12 Feb 2025 03:34 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के मुफ्त के वादे करने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि इससे लोगों की काम करने की इच्छा नहीं होगा क्योंकि उन्हें राशन और पैसे मुफ्त मिलते रहेंगे। कोर्ट में बेघर लोगों को शहरी इलाकों में आश्रय स्थल मुहैया कराने की मांग को लेकर सुनवाई चल रही थी।

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    फ्रीबीज पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी (फोटो-जागरण)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव से पहले मुफ्त सुविधाओं का एलान करने की प्रथा की निंदा की और कहा कि लोग काम करने के इच्छुक नहीं हैं क्योंकि उन्हें मुफ्त राशन और पैसा मिल रहा है। कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों के मुफ्त के वादे करने पर नाराजगी जाहिर की है।

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    ये टिप्पणियां न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने की।  कोर्ट में बेघर लोगों को शहरी इलाकों में आश्रय स्थल मुहैया कराने की मांग को लेकर सुनवाई चल रही थी।

    'बिना काम के मिल रहे पैसे'

    न्यायमूर्ति गवई ने कहा,

    'दुर्भाग्य से, इन मुफ्त सुविधाओं के कारण... लोग काम करने को तैयार नहीं हैं। उन्हें मुफ्त राशन मिल रहा है। उन्हें बिना कोई काम किए राशि मिल रही है।'

    SC ने कोर्ट में क्या कहा?

    • पीठ ने कहा, हम उनके प्रति आपकी चिंता की सराहना करते हैं। मुफ्त राशन और पैसा देने की जगह क्या ये अच्छा नहीं होगा कि इन लोगों को समाज की मुख्य धारा में शामिल किया जाए और देश के विकास में इन्हें भी योगदान देने का मौका मिले।
    • अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पीठ को बताया कि केंद्र शहरी गरीबी मिशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, जो शहरी बेघरों के लिए आश्रय के प्रावधान सहित विभिन्न मुद्दों का समाधान करेगा।
    • पीठ ने अटॉर्नी जनरल से केंद्र से यह साफ करने को कहा कि शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन कितने समय के अंदर लागू किया जाएगा।
    • इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह हफ्ते के लिए टाल दी। 

    चुनाव में फ्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने की थी टिप्पणी

    इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी टिप्पणी की थी। तब कोर्ट ने राज्यों की तरफ से दी जा रही मुफ्त की रेवड़ियों को लेकर बयान दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकारों के पास मुफ्त की योजनाओं के लिए पैसा है, लेकिन जजों की सैलरी और पेंशन के लिए पैसा नहीं है।

    फ्रीबीज को लेकर SC का नोटिस

    इससे पहले, पिछले साल अक्टूबर में भी सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फ्रीबीज को लेकर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। वह याचिका चुनाव के दौरान फ्रीबीज के एलान के खिलाफ थी।

    याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की थी कि वह चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दे कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव से पहले मुफ्त की रेवड़ियों वाले वादें न करें।

    यह भी पढ़ें: 'कब तक दी जाएंगी मुफ्त चीजें', सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा सवाल

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