दिल्ली के 18 भूखंडों पर 1.67 लाख पेड़ लगाएगा डीडीए, प्रदूषण से निपटने के प्रयासों के बीच SC का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए डीडीए की एक योजना को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत, डीडीए वन विभाग को 18 भूखंड सौंपेगा, जहाँ 1.67 लाख से अधिक पेड़ लगाए जाएंगे। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि इन भूखंडों पर सुरक्षा दीवार बनाई जाए और इनका उपयोग केवल वन उद्देश्यों के लिए ही किया जाए।

18 भूखंडों को वन विभाग को प्रतिपूरक वनीकरण के लिए सौंपने का प्रस्ताव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की उस योजना को मंजूरी दे दी जिसमें राजधानी में 18 भूखंडों को वन विभाग को प्रतिपूरक वनीकरण के लिए सौंपने का प्रस्ताव था। अदालत ने कहा कि यह कदम दिल्ली के लिए फायदेमंद होगा, जहां सर्दियों में प्रदूषण गंभीर समस्या बन जाता है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, उज्ज्वल भूइयां और जोयमाल्या बागची की पीठ ने डीडीए को निर्देश दिया कि वह वन विभाग को लगभग 46 करोड़ रुपये प्रदान करे ताकि इन भूखंडों पर 1.67 लाख से अधिक पेड़ लगाए जा सकें। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इन भूखंडों का उपयोग केवल वन उद्देश्यों के लिए ही किया जाएगा और किसी भी प्रकार का भूमि उपयोग परिवर्तन नहीं होगा।
सभी 18 स्थलों पर सुरक्षा दीवार बनाने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूखंडों की एक-एक इंच जगह का उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए। अदालत ने डीडीए को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सभी 18 स्थलों पर सुरक्षा दीवार बनाई जाए ताकि लगाए गए पेड़ों की रक्षा और देखरेख हो सके। इसके साथ ही विशेषज्ञ समिति- ईश्वर सिंह, सुनील लिमये और प्रदीप कृष्ण, को पौधरोपण कार्य की निगरानी का दायित्व सौंपा गया।
समिति की निगरानी अवधि को बढ़ाकर 31 मार्च 2026 तक कर दिया गया है। कोर्ट ने समिति की उस अपील को भी स्वीकार किया, जिसमें कहा गया था कि ठंड का मौसम बीतने के बाद पेड़ लगाए जाने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मई में डीडीए अधिकारियों को दिल्ली रिज क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में अवमानना का दोषी पाया था और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। अदालत ने तब डीडीए को राजधानी के 185 एकड़ क्षेत्र में वनीकरण का आदेश दिया था।
डीडीए और दिल्ली सरकार को दिए निर्देश
हालांकि पीठ ने यह भी कहा कि डीडीए अधिकारियों का यह कृत्य अदालत के आदेशों का उल्लंघन था, लेकिन अर्धसैनिक बलों के अस्पताल के लिए सड़क चौड़ी करने की मूल भावना दुर्भावनापूर्ण नहीं लगती। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि यह पाया गया कि यह विकास कार्य वास्तव में निजी हितों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया है, तो इसे अत्यंत गंभीरता से देखा जाएगा।
अदालत ने कहा कि दिल्ली के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील रिज क्षेत्र में हुए नुकसान की भरपाई के लिए डीडीए और दिल्ली सरकार को तत्काल और समयबद्ध वनीकरण कार्य सुनिश्चित करना होगा।

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