Electoral Bonds: एसबीआइ को आज शाम तक देना होगा चुनावी बांड का ब्योरा, SC ने 30 जून तक मोहलत मांगने की SBI की याचिका की खारिज
Electoral Bonds शीर्ष कोर्ट ने चुनाव आयोग से भी कहा कि 15 मार्च तक एसबीआइ से मिली हर जानकारी को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अगर बीते 15 फरवरी के उसके पूर्व आदेश का सही तरीके से पालन नहीं किया गया तो उसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा और उसी अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्टेट बैंक आफ इंडिया को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से जोर का झटका लगा। शीर्ष कोर्ट ने राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए चुनावी बांडों का पूरा विवरण देने के लिए 30 जून तक की समय सीमा बढ़ाने की उसकी याचिका खारिज करते हुए निर्देश दिया कि वह 12 मार्च यानी मंगलवार शाम पांच बजे तक चुनावी बांड से संबंधित हर जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध करा दे।
शीर्ष कोर्ट ने चुनाव आयोग से भी कहा कि 15 मार्च तक एसबीआइ से मिली हर जानकारी को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अगर बीते 15 फरवरी के उसके पूर्व आदेश का सही तरीके से पालन नहीं किया गया तो उसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा और उसी अनुसार कार्रवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस बारे में एसबीआइ की तरफ से दिए गए सारे तर्कों को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को चुनावी बांड स्कीम पर लगाई थी रोक
पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल रहे। सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बांड स्कीम पर रोक लगा दी थी और इसे असंवैधानिक करार दिया था। साथ ही एसबीआइ को आदेश दिया था कि वह छह मार्च तक इससे जुड़ी सारी जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध कराए। कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह एसबीआइ से मिली जानकारी 13 मार्च तक अपनी वेबसाइड पर डाले।
खंडपीठ ने कहा-' याचिकाकर्ता एसबीआइ की तरफ से दिए गए आवेदन से यह साफ संकेत मिलता है कि जो सूचना उसे साझा करने का निर्देश दिया गया था, वह उसके पास मौजूद है। ऐसे में एसबीआइ की तरफ से चुनावी बांड खरीदने व उससे प्राप्त राशि को वितरित करने से जुड़ी जानकारी देने के लिए 30 जून तक की अवधि मांगे जाने के आवेदन को निरस्त किया जाता है।'
ग्राहकों से जुड़ी जानकारी होती है काफी संवेदनशील किस्म की
एसबीआइ का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि ग्राहकों से जुड़ी जानकारी काफी संवेदनशील किस्म की होती है और इन्हें अलग-अलग रखा जाता है। इन्हें एक जगह जुटाने और मिलान करने में ज्यादा समय लगेगा। एक बैंक के तौर पर हमें यह सूचना गुप्त रखनी था। अब पूरी प्रक्रिया को रिवर्स करना पड़ रहा है। साल्वे ने यह भी तर्क दिया कि चुनावी बांड लेने वालों के नाम लिफाफे में रखे जाते हैं। जस्टिस संजीव खन्ना ने इन तर्कों को खारिज करते हुए पूछा- 'हमने आपसे मिलान करने को नहीं कहा है। सभी जानकारियां सीलबंद लिफाफे हैं। आपको केवल लिफाफे खोलने हैं और इसकी जानकारी देनी हैं।' सीजेआइ चंद्रचूड़ की टिप्पणी थी कि यह ठीक नहीं है कि आप इनके मिलान के लिए समय मांग रहे हैं। आपको ऐसा करने का निर्देश नहीं दिया गया है। कोर्ट ने एसबीआइ को झाड़ लगाते हुए पूछा कि आप यह बताइए कि पिछले 26 दिनों में हमारे निर्देश के पालन के लिए आपने क्या कदम उठाए हैं।
पार्टियों को चंदा देने वालों के नाम को गुप्त रखने का था प्रावधान
बता दें कि चुनावी बांड योजना के तहत राजनीतिक दलों को कितनी भी बड़ी राशि बांड्स के जरिए दी जा सकती थी। पार्टियों को चंदा देने वालों के नाम को गुप्त रखने का इसमें प्रविधान था। सुप्रीम कोर्ट ने 12 अप्रैल, 2019 से फैसला सुनाए जाने तक कितनी राशि के बांड्स खरीदे गए, किसने खरीदे और किस पार्टी को इसकी राशि गई, इसकी पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया था। इसी को लेकर बीते चार मार्च को एसबीआइ ने कोर्ट में याचिका दायर की थी और सूचना साझा करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की थी। उधर, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एसबीआइ के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई।
यूं चला घटनाक्रम
2017: वित्त विधेयक में चुनावी बांड योजना को पेश किया गया।
14 सितंबर 2017: एनजीओ एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस योजना को चुनौती दी।
3 अक्टूबर, 2017 : शीर्ष कोर्ट ने याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया।2 जनवरी, 2018 : केंद्र सरकार ने चुनावी बांड योजना की अधिसूचना जारी की।
16 अक्टूबर, 2023 : चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने योजना के खिलाफ याचिकाओं को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजा।
31 अक्टूबर 2023: सीजेआइ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने योजना के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
2 नवंबर, 2023 : सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।
15 फरवरी, 2024 : सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना रद की। सर्वसम्मति से फैसला दिया कि यह भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के साथ-साथ सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है।
4 मार्च : एसबीआइ ने राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए चुनावी बांडों का पूरा विवरण देने के लिए 30 जून तक की समय सीमा मांगते हुए शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
7 मार्च : एडीआर ने एसबीआइ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की। आरोप लगाया कि बैंक ने छह मार्च तक चुनावी बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दिए गए चंदे का विवरण प्रस्तुत करने के शीर्ष अदालत के निर्देश की जानबूझकर अवज्ञा की।
11 मार्च : शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने समय बढ़ाने की मांग करने वाली एसबीआइ की याचिका खारिज की और उसे 12 मार्च को कामकाजी समय समाप्त होने तक निर्वाचन आयोग को चुनावी बांड का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
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