एसबीआइ ने सीबीआइ को दी शिकायत में कहा- बैंकों ने एबीजी के संचालन को पटरी पर लाने की कई कोशिशें कीं
एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के खिलाफ सीबीआइ में शिकायत दर्ज कराने वाले भारतीय स्टेट बैंक ने एफआइआर में कई बातें कही है। बैंक ने कहा कि कंपनी के संचालन को पटरी पर लाने के लिए कई प्रयास किए गए लेकिन सफलता नहीं मिली।
नई दिल्ली, एएनआइ। एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के खिलाफ सीबीआइ में शिकायत दर्ज कराने वाले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) ने कहा कि कंपनी के संचालन को पटरी पर लाने के लिए कई प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। एसबीआइ की तरफ से रविवार को जारी बयान में कहा गया है कि एबीजी शिपयार्ड की स्थापना 15 मार्च, 1985 को हुई थी। आइसीआइसीआइ बैंक के नेतृत्व में 28 बैंकों के कंसोर्टियम ने 2001 से कंपनी को कर्ज देना शुरू किया था और उसे कुल 22,842 करोड़ रुपये के कर्ज दिया गया।
2013 में पहली बार एनपीए घोषित हुआ कंपनी का खाता
खराब प्रदर्शन के चलते कंपनी का लोन अकाउंट 30 नवंबर, 2013 को एनपीए घोषित कर दिया गया। उसके बाद से कंपनी को पुनर्जीवित करने के लिए कई प्रयास किए गए।
2014 में कंपनी के खाते को पुनर्गठित किया गया
बयान में कहा गया है, 'मार्च 2014 में सीडीआर प्रणाली के तहत सभी बैंको द्वारा कंपनी के खाते को पुनर्गठित किया गया था। परंतु, शिपिंग उद्योग में मंदी के दौर के चलते कंपनी के संचालन को पटरी पर नहीं लाया जा सका।'
2016 में पुरानी तारीख से खाता फिर एनपीए घोषित हुआ
बयान में आगे कहा गया है कि पुनर्गठन की प्रक्रिया के विफल होने के बाद जुलाई, 2016 में कंपनी के खाते को पिछली तारीख यानी 30 नवंबर, 2013 से फिर एनपीए के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया। अप्रैल 2018 में अंर्स्ट एवं यंग को वर्चुअल आडिटर नियुक्त किया गया, जिसने जनवरी, 2019 में अपनी रिपोर्ट सौंपी।
कर्ज की रकम को किया डायवर्ट
एसबीआइ में रिस्क कंप्लाएंस एवं स्ट्रेस एसेट रिसोलुशन ग्रुप के प्रबंध निदेशक स्वामीनाथन जानकीरमन ने कहा कि वर्चुअल आडिट में यह पाया गया कि प्रमोटरों ने कर्ज के रूप में ली गई धनराशि को डायवर्ट किया है, उसके बाद खाते को धोखाधड़ी की श्रेणी में रखा गया।
कर्जदाता बैंकों की बैलेंसशीट पर असर नहीं
उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों के लिए पूरी तरह से प्रविधान किया गया है, इसलिए किसी भी बैंक के खातों की बैलेंस शीट या लाभ/हानि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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