भाजपा की चुनावी रणनीति को नई धार दे रहा 'सरल' एप, बूथ स्तर पर पार्टी की गतिविधियों की हो रही निगरानी
भाजपा हमेशा से मेरा बूथ सबसे मजबूत होने का नारा देती रही है। इसके लिए राष्ट्रीय पदाधिकारी चुनाव से पहले बूथ स्तर के पदाधिकारियों को संबोधित भी करते रहे हैं। लेकिन बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की गतिविधियों की निगरानी का कोई पुख्ता तंत्र नहीं था।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। सांगठनिक गतिविधियों की रिपोर्टिंग और उनके विश्लेषण के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया एप 'सरल' (संगठन रिपोर्टिंग एंड एनालिसिस) भाजपा की चुनावी तैयारियों को नई धार दे रहा है। इस एप के सहारे बूथ स्तर के ढांचे को मजबूत करने के साथ ही उसकी गतिविधियों पर नजर भी रखी जा रही है। इस पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर बूथ स्तर तक भाजपा के तीन करोड़ से अधिक पदाधिकारियों का डाटा उपलब्ध है।
कार्यकर्ताओं की सक्रियता का चलता है पता
भाजपा में 'सरल' का कामकाज देख रहे म के मुताबिक, इस एप के सहारे बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से रियल टाइम संवाद बनाने में सफलता मिली है। इसके साथ ही एप पर बूथ से लेकर जिला स्तर तक की सभी गतिविधियों की रिपोर्टिंग होती है, जिससे कार्यकर्ताओं की सक्रियता का पता चलता है।
दरअसल, भाजपा हमेशा से 'मेरा बूथ, सबसे मजबूत' होने का नारा देती रही है। इसके लिए राष्ट्रीय पदाधिकारी चुनाव से पहले बूथ स्तर के पदाधिकारियों को संबोधित भी करते रहे हैं। लेकिन बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की गतिविधियों की निगरानी का कोई पुख्ता तंत्र नहीं था। इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व को ब्लाक और जिला स्तर के पदाधिकारियों की रिपोर्टिंग पर निर्भर करना पड़ता था।
'सरल' एप में बूथ स्तर के पदाधिकारियों को भी अपनी गतिविधियों की रिपोर्ट अपलोड करनी होती है। जैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 'मन की बात' कार्यक्रम बूथ स्तर पर सुना जाता है और इसका फोटो अपलोड भी किया जाता है।
बाद में साफ्टवेयर के सहारे देश भर से आए सभी फोटो की जांच की जाती है, जिससे फर्जी अपलोड किए गए फोटो की पहचान हो जाती है। इसी तरह से अन्य गतिविधियों की फोटो की असलियत की भी समय-समय पर जांच की जाती है। एप के सहारे बूथ स्तर के पदाधिकारियों की सही पहचान भी सुनिश्चित करने में मदद मिली है।
बूथ स्तर पर मजबूत संगठन का अहम योगदान
एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि बूथ कमेटियों में शामिल लोगों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए उन्हें काल किया जाता है। यदि बूथ कमेटी का कोई सदस्य सवालों का सही जवाब नहीं दे पाता है, तो साफ हो जाता है कि उसे सिर्फ नाम के लिए सदस्य दिखा दिया गया है, जिसे समय रहते सही कार्यकर्ता को शामिल कर दुरुस्त किया जा सकता है।
बलराज नूनिया के मुताबिक, उनके पास देश के राज्य, जिला और ब्लाक स्तर तक की बूथ कमेटियों का पूरा ब्योरा है। उनके अनुसार सामान्य तौर पर बूथ स्तर पर 20 कार्यकर्ताओं की कमेटी बनाई जाती है, लेकिन गुजरात और उत्तर प्रदेश में बूथ कमेटियों में सदस्यों की संख्या 50 से ऊपर है, जो इन राज्यों में संगठन की मजबूत स्थिति को बताती है। उत्तर प्रदेश और गुजरात के चुनावों में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के पीछे बूथ स्तर पर मजबूत संगठन का अहम योगदान है।