समुद्र के रहस्यों को खंगालेगा 'मतस्य', 500 मीटर की गहराई तक जा सकेंगे वैज्ञानिक
भारत का पहला मानवयुक्त गहरा समुद्र मिशन, समुद्रयान, समुद्र के रहस्यों को खोजने के लिए तैयार है। NIOT के वैज्ञानिक मत्स्य-6000 पर सवार होकर गहरे समुद्र की यात्रा करेंगे। इस मिशन का उद्देश्य समुद्र तल की खोज करना है, जिसके लिए भारत स्वदेशी तकनीक का उपयोग कर रहा है। सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है, और यान 30 मीटर प्रति मिनट की गति से गहराई तक जाने में सक्षम है।

मानवयुक्त गहरा समुद्र मिशन। फोटो- सोशल मीडिया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत का पहला मानवयुक्त गहरा समुद्र मिशन समुद्रयान समुद्र के रहस्य को खंगालेगा। राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइओटी) के दो विज्ञानी रमेश राजू और जतिंदर पाल सिंह अगले साल की शुरुआत में स्वदेशी यान मत्स्य-6000 पर सवार होकर चेन्नई तट से समुद्र की गहराइयों के सफर पर रवाना होंगे।
समुद्रयान के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, सत्य नारायणन ने बताया, कोई भी कैमरा इंसान की आंख का मुकाबला नहीं कर सकता। इससे गहरे समुद्र तल के बारे में बहुत कुछ पता चलेगा। सिर्फ अमेरिका, रूस, चीन, जापान और फ्रांस के पास इतनी गहराई में खोज करने की क्षमता है। समुद्रयान की सफलता के साथ भारत भी इन चुनिन्दा देशों के ग्रुप में शामिल हो जाएगा।
भारत का पहला मानवयुक्त गहरा समुद्र मिशन
मत्स्य-6000 अगले साल की शुरुआत में विज्ञानियों को 500 मीटर की गहराई तक ले जाएगा। विज्ञानी 2027 में इस गहराई से 10 गुना अधिक गहराई तक गोता लगाने की योजना बना रहे हैं। एनआइओटी के निदेशक बालाजी रामकृष्णन ने बताया, पहली बार है जब हम इंसानों को छह हजार मीटर की गहराई में भेज रहे हैं और इस मिशन के लिए सुरक्षा सबसे जरूरी है।
मत्स्य को स्वदेशी तकनीक से किया गया है विकसित
स्वदेशी तकनीक से विकसित यान 'मत्स्य' को गहरे समुद्र में अत्यधिक दबाव और तापमान का सामना करने के लिए तैयार किया जा रहा है। 'मत्स्य' 30 मीटर प्रति मिनट की गति से समुद्र की गहराई तक जाने में सक्षम होगा। इसमें सैंपल इकट्ठा करने के लिए रोबोटिक आर्म्स और कैमरे भी होंगे।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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