Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Same Gender Marriage: समलैंगिक शादी पर आज भी होगी बहस, 20 याचिकाएं हैं लंबित

    कोर्ट ने साफ कर दिया कि वह पर्सनल लॉ पर विचार नहीं करेगा। केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता लगातार केंद्र की आपत्तियों पर पहले सुनवाई के लिए जोर देते रहे और राज्यों को भी नोटिस जारी कर पक्षकार बनाने की मांग की।

    By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Wed, 19 Apr 2023 07:19 AM (IST)
    Hero Image
    Same Gender Marriage: समलैंगिक शादी पर आज भी होगी बहस, 20 याचिकाएं हैं लंबित

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में आज बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। मंगलवार को गरमा-गरम बहस के बीच सुनवाई शुरू हुई। केंद्र सरकार ने सुनवाई को लेकर आपत्ति उठाते हुए कहा कि पहले यह तय होना चाहिए कि कौन से मंच पर इस मुद्दे पर बहस हो सकती है। क्या अदालत वैवाहिक रिश्ते की सामाजिक और कानूनी मान्यता न्यायिक फैसले के जरिये तय कर सकती है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा विधायिका के विचार क्षेत्र में आता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऐसे में कोर्ट पहले सरकार की ओर से सुनवाई को लेकर उठाई गई आपत्तियों पर विचार करे, केस की मेरिट पर बाद में सुनवाई की जाए। लेकिन कोर्ट ने केंद्र सरकार की मांग अनसुनी करते हुए कहा कि वह पहले याचिकाकर्ता को सुनेंगे ताकि केस का परिप्रेक्ष्य समझ आ सके, उन्हें बाद के चरण में सुनेंगे और इसके साथ ही कोर्ट ने केस की मेरिट पर सुनवाई शुरू कर दी।

    कोर्ट ने साफ कर दिया कि वह पर्सनल लॉ पर विचार नहीं करेगा। केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता लगातार केंद्र की आपत्तियों पर पहले सुनवाई के लिए जोर देते रहे और राज्यों को भी नोटिस जारी कर पक्षकार बनाने की मांग की, लेकिन संविधान पीठ की अगुआई कर रहे प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह यहां के प्रभारी हैं और वह ही तय करेंगे कि वह पहले याचिकाकर्ता को सुनेंगे।

    वह किसी को भी यह तय करने की अनुमति नहीं देंगे कि इस अदालत में कार्यवाही कैसे होगी। इस पर मेहता ने कहा कि सरकार तब विचार करेगी कि वह आगे मामले में भाग लेना चाहती है कि नहीं। मेहता की इस बात पर पीठ के अन्य न्यायाधीश संजय किशन कौल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि क्या आप कह रहे हैं कि सरकार सुनवाई में भाग नहीं लेगी।

    सालिसिटर जनरल ने कहा कि हममें से कोई नहीं जानता कि दक्षिण भारत का एक किसान या उत्तर भारत का एक व्यापारी क्या सोचता है। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया कि वह स्थगन के अलावा किसी भी अनुरोध पर विचार करेंगे। सालिसिटर जनरल ने याचिकाओं की सुनवाई पर अपनी आपत्तियां बरकरार रखीं और कोर्ट की नाराजगी पर भी हल्की फुल्की टिप्पणी की।

    20 याचिकाएं हैं लंबित

    सुप्रीम कोर्ट में करीब 20 याचिकाएं लंबित हैं जिनमें समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग की गई है। मंगलवार को पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से पर्सनल ला के पहलू को न उठाए जाने और दलीलें सिर्फ स्पेशल मैरिज एक्ट तक सीमित रखने की बात करने पर कोर्ट ने साफ किया कि वह इस मामले में पर्सनल ला के मुद्दे पर विचार नहीं करेगा। मामले में सिर्फ स्पेशल मैरिज एक्ट में जीवनसाथी की व्याख्या के सीमित मुद्दे पर विचार किया जाएगा।