राणा सांगा को गद्दार कहने पर घिरे सपा सांसद रामजी सुमन, भाजपा ने बताया राजपूतों का अपमान
सपा सांसद राजीलाल सुमन ने राणा सांगा को गद्दार करार दिया है। उन्होंने कहा कि राणा सांगा ने ही बाबर को इब्राहिम लोदी को हराने के लिए आमंत्रित किया था। सपा सांसद ने कहा कि इस तर्क से अगर आप दावा करते हैं कि मुसलमान बाबर के औलाद हैं तो आप भी गद्दार राणा सांगा के औलाद हैं। पूर्व भाजपा सांसद संजीव बालियान ने इसे राजपूतों का अपमान बताया।

आईएएनएस, नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन ने संसद में एक ऐतिहासिक राजपूत राजा पर अपनी टिप्पणी से बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।
गृह मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर चर्चा में भाग लेते हुए सपा नेता ने 16वीं शताब्दी के राजपूत राजा राणा सांगा को गद्दार कहा, जिस पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है। अपने भाषण के दौरान सुमन ने भारतीय मुसलमानों की ऐतिहासिक वंशावली के बारे में भाजपा द्वारा की जाने वाली लगातार टिप्पणियों पर निशाना साधा।
राणा सांगा को कहा गद्दार
उन्होंने कहा कि भाजपा नेता अक्सर दोहराते हैं कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है, लेकिन मैं यह बताना चाहूंगा कि भारतीय मुसलमान बाबर को अपना आदर्श नहीं मानते। वास्तव में, बाबर को भारत कौन लाया था? राणा सांगा ने ही उसे इब्राहिम लोदी को हराने के लिए आमंत्रित किया था।
सपा सांसद ने कहा कि इस तर्क से, अगर आप दावा करते हैं कि मुसलमान बाबर के औलाद हैं, तो आप भी गद्दार राणा सांगा के औलाद हैं। हम बाबर की आलोचना करते हैं, लेकिन राणा सांगा की नहीं। समाजवादी पार्टी के सांसद की टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया। पूर्व भाजपा सांसद संजीव बालियान ने बयान की निंदा करते हुए इसे राजपूतों का अपमान बताया।
बालियान बोले- राजपूतों का अपमान
- बालियान ने इंटरनेट मीडिया पर सुमन के भाषण का वीडियो क्लिप शेयर करते हुए लिखा कि शर्म आनी चाहिए, आप तुष्टीकरण की सारी हदें पार कर रहे हैं। संसद में महान योद्धा राणा सांगा को देशद्रोही कहना राजपूत समुदाय और पूरे हिंदू समाज का घोर अपमान है।
- उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी को इस शर्मनाक कृत्य के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए। गौरतलब है कि सिसोदिया राजवंश के सदस्य राणा सांगा ने 1508 से 1528 तक मेवाड़ पर शासन किया था।
- उन्हें दिल्ली सल्तनत के बढ़ते प्रभाव का विरोध करने के लिए विभिन्न राजपूत वंशों को एकजुट करने के लिए जाना जाता था। उनका राज्य वर्तमान राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों तक फैला हुआ था, जिसकी राजधानी चित्तौड़ थी।
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