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    Sam Sex Marriage: समलैंगिक विवाह पर SC से फैसले की समीक्षा की मांग, याचिकाकार्ताओं ने मौलिक अधिकारों का बताया उल्लंघन

    By Jagran NewsEdited By: Shubham Sharma
    Updated: Thu, 02 Nov 2023 05:30 AM (IST)

    याचिकाकर्ताओं ने समीक्षा याचिका में कहा कि इस न्यायालय को अपने फैसले की समीक्षा करनी चाहिए और उसे सही करना चाहिए। विवादित निर्णय में स्पष्ट त्रुटियां हैं और यह आत्म-विरोधाभासी तथा अन्यायपूर्ण है। समीक्षा याचिका में कहा गया है कि जस्टिस एस रवींद्र भट (अब सेवानिवृत्त) के नेतृत्व में बहुमत का फैसला स्पष्ट रूप से गलत है।

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    सुप्रीम कोर्ट से समलैंगिक विवाह पर फैसले की समीक्षा की मांग।

    एजेंसी, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर 17 अक्टूबर के फैसले की समीक्षा की मांग की गई है, जिसमें उसने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इन्कार कर दिया था। याचिका में कहा गया है कि बहुमत के फैसले ने समलैंगिक जोड़े के साथ भेदभाव को स्वीकार किया, लेकिन भविष्य के लिए शुभकामनाओं के साथ उनकी अपील को खारिज कर दिया।

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    याचिकाकर्ताओं में से एक उदित सूद द्वारा समीक्षा याचिका शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में दाखिल की गई है। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 17 अक्टूबर को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इन्कार कर दिया था और कहा था कि कानून द्वारा मान्यता प्राप्त विवाह को छोड़कर विवाह का कोई अधिकार नहीं है।

    मौलिक अधिकारों का उल्लंघन

    समीक्षा याचिका में कहा गया है- हम सम्मानपूर्वक कहना चाहते हैं कि इस न्यायालय को अपने फैसले की समीक्षा करनी चाहिए और उसे सही करना चाहिए। विवादित निर्णय में स्पष्ट त्रुटियां हैं और यह आत्म-विरोधाभासी तथा अन्यायपूर्ण है। समीक्षा याचिका में कहा गया है कि जस्टिस एस रवींद्र भट (अब सेवानिवृत्त) के नेतृत्व में बहुमत का फैसला स्पष्ट रूप से गलत है। इसमें पाया गया है कि उत्तरदाता (केंद्र और अन्य) भेदभाव के जरिये याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।

    शीर्ष अदालत के अधिकार क्षेत्र को निष्प्रभावी कर दिया

    लेकिन वह (अपने फैसले में) उस भेदभाव को समाप्त करने में विफल रहे। जस्टिस भट्ट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा के बहुमत के दृष्टिकोण पर सवाल उठाते हुए समीक्षा याचिका में कहा गया कि उन्होंने शीर्ष अदालत के अधिकार क्षेत्र को निष्प्रभावी कर दिया।

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