1947 में लागू हुआ था पहला वेतन आयोग... तब से अब तक कैसे बदला सरकारी कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर?
आजादी के बाद, केंद्र सरकार ने वेतन ढांचे की समीक्षा के लिए कई वेतन आयोग बनाए। पहले आयोग ने 'जीवन निर्वाह वेतन' का सिद्धांत दिया, न्यूनतम वेतन 55 रुपये प्रस्तावित किया। विभिन्न आयोगों ने समय-समय पर वेतन संरचना में सुधार किए। सातवें वेतन आयोग ने 2016 में वेतन में 23.55% की वृद्धि की सिफारिश की, न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये निर्धारित किया गया।

पहला वेतन आयोग जनवरी 1946 में बना (प्रतीकात्मक तस्वीर)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 1947 में आजादी के बाद से केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर की समीक्षा करने और नए स्ट्रक्चर की सिफारिशों के लिए कई वेतन आयोग बनाए हैं। हर आयोग ने बदलते आर्थिक परिदृश्य और प्रशासनिक जरूरतों के हिसाब से कम्पनसेशन फ्रेमवर्क बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
पहला वेतन आयोग (1946-1947)
पहला वेतन आयोग जनवरी 1946 में श्रीनिवास वरदाचारी की अध्यक्षता में बना। इस आयोग ने मई 1947 में अपनी रिपोर्ट दी। इसका मुख्य काम सरकारी कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर की समीक्षा करना और नए स्ट्रक्चर की सिफारिश करना था। कमीशन ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक अच्छा जीवन स्तर सुनिश्चित करने के लिए 'लिविंग वेज' का सिद्धांत पेश किया।
लिविंग वेज का आशय एक न्यूनतम आय से है, जिसमें कर्मचारी और उसका परिवार गुणवत्ता पूर्ण जीवन जी सके। आयोग ने कम से कम 55 रुपये प्रति महीना और अधिकतम 2,000 रुपये मासिक वेतन का प्रस्ताव रखा।
दूसरा वेतन आयोग (1957-1959)
एक दशक बाद अगस्त 1957 में जगन्नाथ दास की अध्यक्षता में दूसरा वेतन आयोग बनाया गया। इसने दो साल बाद अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें हर महीने 80 रुपये के न्यूनतम वेतन की सिफारिश की गई।
तीसरा वेतन आयोग (1970-1973)
रघुबीर दयाल की अध्यक्षता में तीसरे वेतन आयोग ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच वेतन में बराबरी पर जोर दिया। अपनी रिपोर्ट में आयोग ने पे स्ट्रक्चर में असमानता को दूर किया।
चौथा वेतन आयोग (1983-1986)
जून 1983 में पीएन सिंघल की अध्यक्षता में बनाए गए चौथे वेतन आयोग ने चार साल में तीन चरण में अपनी सिफारिशें पेश कीं। इसमें हर महीने 750 रुपये न्यूनतम वेतन की सिफारिश की गई। आयोग ने परफार्मेंस-लिंक्ड पे स्ट्रक्चर शुरू किया।
पांचवां आयोग (1994-1997)
पांचवा वेतन आयोग 9 अप्रैल 1994 को अधिसूचित किया गया। आयोग की अध्यक्षता जस्टिस एस रत्नावेल पांडियन ने की थी। इसने सरकारी कर्मचारियों की संख्या कम करने के साथ पे स्केल की संख्या घटाने का प्रस्ताव दिया। आयोग ने सरकारी कार्यालयों को आधुनिक बनाने पर फोकस किया।
छठा वेतन आयोग (2006-2008)
छठा वेतन आयोग अक्टूबर 2006 में न्यायाधीश बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में बनाया गया था। आयोग ने मार्च 2008 में अपनी रिपोर्ट दी। इसने पे स्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए र¨नग पे बैंड और ग्रेड पे का विचार पेश किया। इसने प्रदर्शन के आधार पर प्रोत्साहन देने पर जोर दिया
सातवां वेतन आयोग, 2016
सातवां वेतन आयोग 1 जनवरी, 2016 से लागू हुआ। आयोग ने वेतन, अलाउंस और पेंशन में कुल 23.55त्न की बढ़ोतरी की सिफारिश की। न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये प्रति महीना और फिटमेंट फैक्टर 2.57 तय किया गया।

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