Saka Panja Sahib: 240 भारतीय सिखों का जत्था जाएगा पाकिस्तान, साका पंजा साहिब के शताब्दी समारोह में करेंगे शिरकत
Saka Panja Sahib पाकिस्तान के रावलपिण्डी में स्थित पंजा साहिब गुरुद्वारा में आयोजित शताब्दी समारोह में शिरकत करने के लिए 240 भारतीय सिखों का एक जत्था पाकिस्तान जाएगा। इस दौरान भारतीय सिखों का दल अलग-अलग गुरुद्वारे भी जाएगा।
नई दिल्ली, एजेंसी। 240 भारतीय सिखों का एक जत्था 28 अक्टूबर को पाकिस्तान जाएगा। भारतीय सिखों का जत्था रावलपिण्डी से 45 किलोमीटर दूर स्थित पंजा साहिब गुरुद्वारा में आयोजित हो रहे साका पंजा साहिब के शताब्दी समारोह में शिरकत करेगा। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका ने बताया कि कुल 240 भारतीय सिखों का जत्था 28 अक्टूबर को अटारी/वाघा बार्डर पार करके पाकिस्तान जाएगा और 2 नवंबर को सभी श्रद्धालु वापस अमृतसर लौटेंगे। इस जत्थे में 40 श्रद्धालु राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से जाएंगे। जिन्हें दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से भेजा जा रहा है।
पाकिस्तान के इन गुरुद्वारे भी जाएंगे श्रद्धालु
सरदार हरमीत सिंह कालका ने बताया कि सभी श्रद्धालु पाकिस्तान में गुरुद्वारा पंजा साहिब और ननकाना साहिब के साथ-साथ लाहौर सहित अन्य ऐतिहासिक सिख तीर्थस्थलों का भी दौरा करेंगे। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान जाने वाले सभी तीर्थयात्रियों को वैक्सीन की दोनों डोज अनिवार्य है। इसके अलावा उन्हें पाकिस्तान रवाना होने से 72 घंटे पहले कोरोना टेस्ट से गुजरना होगा। इसके साथ ही उन्हें निगेटिव RT-PCR रिपोर्ट भी दिखानी होगी। इस दौरान अटारी-वाघा सीमा चेकपोस्ट पर उनका एक और रेपिड एंटी टेस्ट (RAT) किया जाएगा।
क्या है साका पंजा साहिब का इतिहास
बता दें कि साका पंजा साहिब सिख इतिहास से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। साका पंजा साहिब में 30 अक्टूबर 1922 को घटित हुई घटना के बारे में सरदार हरमीत सिंह कालका ने जिक्र किया। उन्होंने बताया कि अमृतसर में अपनी मांगों के प्रति शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले सिख समुदाय के लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था। इस दौरान जब ट्रेन से इन कैदियों को ले जाया जा रहा था, तो इसके बारे में जानकारी मिलते ही पंजा साहिब के सिख समुदाय ने रेलगाड़ी रोककर निर्दोष सिखों को लंगर प्रदान करने का फैसला किया।
निर्दोषों को ट्रेन से कुचला
हालांकि, स्थानीय अधिकारियों ने पंजा साहिब रेलवे स्टेशन पर रेलगाड़ी रोकने से मना कर दिया। जिससे सिख समुदाय के लोग रेल की पटरी पर बैठ गए। तभी अधिकारियों के आदेश पर प्रदर्शन पर बैठे कुछ निहत्थे प्रदर्शनकारियों को ट्रेन से कुचल दिया गया था। इन शहीदों की याद में पंजा साहिब में 30 अक्टूबर से दो नवंबर तक आजादी से पहले मेले का आयोजन किया जाता था।
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