Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सद्गुरु जग्गी वासुदेव को मिली बड़ी राहत, SC ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक; पढ़ें क्या है पूरा मामला

    By Agency Edited By: Piyush Kumar
    Updated: Thu, 03 Oct 2024 01:07 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ईशा फाउंडेशन के आश्रम में दो लड़कियों को जबरदस्ती रखने के मामले पर सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सद्गुरु जग्गी वासुदेव को राहत दी। कोर्ट ने इस मामले पर पुलिस जांच पर रोक लगा दी है। इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को कहा था कि तमिलनाडु पुलिस ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी आपराधिक मामलों की जांच करें।

    Hero Image
    Sadhguru Case: सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।(फोटो सोर्स: जागरण)

    एएनआई, नई दिल्ली। आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru Case) को आज सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगा दी है। इस मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'मेरी बेटी का ब्रेनवॉश किया गया'

    दरअसल, एक रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट ने एक याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने शिकायत की थी कि आश्रम ने उनकी दो बेटियों बेटियों गीता (42) और लता (39) को ब्रेनवॉश कर रखा गया है।

    हालांकि, ईशा फाउंडेशन का कहना है कि दोनों बहनें अपनी मर्जी से आश्रम में रह रहीं हैं। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने आज (3 अक्टूबर) इस मामले पर सुनवाई की। 

    पुलिस के आश्रम में दाखिल होने पर कोर्ट ने जताई चिंता

    इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को कहा था कि तमिलनाडु पुलिस ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी आपराधिक मामलों की जांच करें और रिपोर्ट पेश करे। इसके बाद एक अक्टूबर को करीब 150 पुलिसकर्मी इस मामले की जांच करने आश्रम पहुंचे थे।

    सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आश्रम में पुलिस की मौजूदगी पर सवाल खड़े किए। कोर्ट ने कहा कि पहली बात तो यह है कि आप इस तरह से पुलिस की एक टुकड़ी को परिसर में नहीं आने दे सकते। एक न्यायिक अधिकारी जाएंगे और दोनों लड़कियों से पूछताछ कर सकते हैं।

    बता दें कि सुनवाई के दौरान दोनों बहनों में से एक वर्चुअल तौर पर कोर्ट में मौजूद थी। उसने दोहराया कि वे अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही हैं। उसने आरोप लगाया कि उनके पिता पिछले आठ सालों से उन्हें परेशान कर रहे हैं।

    यह भी पढ़ें: जेलों में जाति के आधार पर काम देना अनुचित, यह अनुच्छेद-15 का उल्लंघन; जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला