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Sabarimala Row: 'किसी भी अदालत को धर्म के संबंध में निर्णय देने का अधिकार नहीं'

Sabarimala Row: शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि धर्म के मामले में अदालतों को निर्णय देने का अधिकार नहीं है।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 10:21 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 10:21 AM (IST)
Sabarimala Row: 'किसी भी अदालत को धर्म के संबंध में निर्णय देने का अधिकार नहीं'
Sabarimala Row: 'किसी भी अदालत को धर्म के संबंध में निर्णय देने का अधिकार नहीं'

गोटेगांव/नरसिंहपुर, नईदुनिया। केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर छिड़ा विवाद किसी भी सूरत में थमता नहीं दिख रहा। हिंदू संगठनों से लेकर साधू-संतों तक सबरीमाला में महिलाओं की प्रवेश के मुद्दे पर आक्रामक दिख रहे हैं। इस बीच सबरीमाला मंदिर में दो महिलाओं का प्रवेश कर पूजन करने के मामले में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का बयान सामने आया है। 

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शंकराचार्य ने कहा, 'कपड़ा बदलकर, मुंह बांधकर जो वहां पहुंच गईं, उससे हमारी कोई क्षति नहीं हुई है। जो कुछ क्षति हुई भी है, उसे हम दूर कर लेंगे, लेकिन किसी भी अदालत को धर्म के संबंध में निर्णय देने का अधिकार नहीं है, क्योंकि कौन आदमी पवित्र होता है और कौन अपवित्र, यह हमारे जस्टिस क्या जानें।' यह बात शंकराचार्य ने मवई के शंकराचार्य नेत्रालय में नेत्र शिविर के दौरान मीडिया से शनिवार को कही।

उन्होंने कहा कि आज हमारे सामने एक डॉक्टर आए हैं उनके परिवार में निधन होने से उन्हें सूतक लगा है। अब इसको क्या हम लोग सिद्ध कर सकते हैं, क्या यहां बैठे डॉक्टर बता सकते हैं कि सूतक क्या होता है। हम लोग यह देखते हैं कि जब नारी रजस्वला होती है तो स्वयं ही 4 दिन तक कोई कार्य नहीं करती। उन्होंने केरल सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा, 'महिलाएं भी विरोध कर रही हैं, लेकिन जबरदस्ती कम्युनिस्ट लोग और नास्तिक लोग चाहते हैं कि यह मर्यादा समाप्त हो जाए।'

अदालत के फैसले पर शंकराचार्य ने कहा कि अदालतें ईमानदारी से निर्णय देती होंगी। वे अपने संविधान के हिसाब से फैसला सुनाती हैं कि भारतीय संविधान है। लेकिन भारत का संविधान पाकिस्तान, फ्रांस, जर्मन में नहीं चलता तो परलोक में कैसे चलेगा। परलोक में तो भगवान का जो संविधान वेद, शास्त्र, पुराण है, वही चलेगा तो जिसको पुण्य अर्जित करना है, उसे धर्म शास्त्र के अनुसार ही कर्म करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का घुसना सर्वथा अनुचित है और आगे भी ऐसा नहीं करना चाहिए। महिलाएं स्वयं इसका विरोध कर रही हैं कि ऐसा क्यों किया जा रहा है।


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