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    'नेहरू काल को बेहतर मानने के विचार से निकलना होगा बाहर', जयशंकर बोले- शुरुआती वर्षों में विदेश नीति बस नेहरूवादी विचारधारा का बुलबुला

    Updated: Wed, 20 Mar 2024 08:29 PM (IST)

    आजादी के बाद शुरुआती वर्षों में सरकार की विदेश नीति के बारे में जयशंकर ने कहा-आपने पाकिस्तान को गलत पायाआपने चीन को गलत पाया आपने अमेरिका को सही पाया और कहा गया कि हमारी विदेश नीति बहुत अच्छी है। इसलिएअब इस नजरिये को एक तरफ रख दीजिए। उन्होंने कहा कि शुरुआती वर्षों में जब विदेश नीति की बात आती थी तो यह काफी हद तक नेहरूवादी विचारधारा का बुलबुला था।

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    विदेश मंत्री ने नेहरू सरकार के अहम कुछ निर्णयों पर उठाए सवाल (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को नेहरू सरकार द्वारा लिए गए कुछ प्रमुख निर्णयों की आलोचना करते हुए कहा कि लोगों को इस मानसिकता से बाहर निकलने की जरूरत है कि 1946 से बाद की अवधि 'महान वर्ष' थे और तब देश ने 'शानदार' प्रदर्शन किया था। आजादी के बाद शुरुआती वर्षों में सरकार की विदेश नीति के बारे में जयशंकर ने कहा- आपने पाकिस्तान को गलत पाया, आपने चीन को गलत पाया, आपने अमेरिका को सही पाया और कहा गया कि हमारी विदेश नीति बहुत अच्छी है।

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    इसलिए, अब इस नजरिये को एक तरफ रख दीजिए। न्यूज18 राइजिंग भारत समिट में एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि शुरुआती वर्षों में जब विदेश नीति की बात आती थी तो यह काफी हद तक नेहरूवादी विचारधारा का बुलबुला था। इसके अवशेष आज भी मौजूद हैं।

    जयशंकर ने G20 समेत कई मुद्दों पर की बातचीत

    जयशंकर ने जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत की भूमिका, नागरिकता संशोधन कानून की आलोचना, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान संबंध और भूराजनीतिक परिदृश्य समेत कई मुद्दों पर बात की। विदेश मंत्री बोले- मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आइए 1954 या 1950 की तरफ देखते हैं। मेरा कहना यह है कि 1948, 1949, 1950, 1951, 1952 में जब आप निर्णय ले रहे थे, तब कोई खड़ा हुआ और उसने कहा-मिस्टर नेहरू आप क्या कर रहे हैं? क्या आपने इसके इस पहलू पर ध्यान दिया है।

    'मैं युवा पीढ़ी के सामने ऐतिहासिक संदर्भ रख रहा हूं'

    ये लोग नेहरू के समकालीन थे, जो उस समय उनके द्वारा लिए जा रहे निर्णयों पर सवाल उठा रहे थे। जयशंकर ने अपने दावे के समर्थन में नेहरू-लियाकत समझौते पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों और नेहरू के फैसलों पर बीआर आंबेडकर के विचारों का हवाला दिया। उन्होंने कहा, यह कोई राजनीतिक विवाद नहीं है। मैं युवा पीढ़ी के सामने ऐतिहासिक संदर्भ रख रहा हूं, जिसके बारे में मेरा कहना है कि यह रास्ता नहीं अपनाया गया। वह रास्ता उपलब्ध था और उसे चिह्नित भी किया गया था। 

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