भारत-श्रीलंका संबंधों के नये युग की शुरुआत, आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे जयशंकर; 45 करोड़ डॉलर की मदद का एलान
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने श्रीलंका की आधिकारिक यात्रा के दौरान चक्रवात 'दित्वाह' से प्रभावित देश के लिए 45 करोड़ अमेरिकी डॉलर की मदद की घोषणा की। उन् ...और पढ़ें

45 करोड़ अमेरिकी डॉलर की वित्तीय मदद की घोषणा की (फोटो: @DrSJaishankar)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर आज श्रीलंका की आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे, जहां उन्होंने हाल ही में आए चक्रवाती तूफान 'दित्वाह' से प्रभावित इस पड़ोसी देश की मदद के लिए 45 करोड़ अमेरिकी डॉलर की वित्तीय मदद की घोषणा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष दूत के तौर पर श्रीलंका पहुंचे जयशंकर ने वहां के राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके, पीएम हरिनी अमरसूर्या, विदेश मंत्री विजिथा हेराथ के अलावा स्वास्थ्य मंत्री, वित्त मंत्री के साथ मुलाकात करने के अलावा नेता प्रतिपक्ष सजिथ प्रेमदासा, श्रीलंका के तमिल नेताओं और कारोबारी समुदाय के प्रतिनिधियों से भी अलग अलग बात की।
आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा हुई
इन सभी नेताओं के साथ उन्होंने आपदा राहत, आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा हुई। राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके से हुई मुलाकात में द्विपक्षीय व्यापार के अलावा सीमा सुरक्षा से जुड़े मुद्दों परभी विचार विमर्श हुआ है। राष्ट्रपति दिसानायके ने भारत की तरफ से मदद की घोषणा को दोनों देशों के संबंधों में नये युग की शुरुआत के तौर पर चिन्हित किया है।
जयशंकर की इस यात्रा को श्रीलंका के आर्थिक संकट और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा रहा है। भारत व श्रीलंका के विदेश मंत्रियों ने एक संयुक्त बयान भी जारी किया है जिसमें दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर जोर दिया। इन मुलाकातों में भारत ने श्रीलंका को 'ऑपरेशन सागर बंधु' के तहत पहले से दी जा रही मदद को बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
कैरिजवे बेली ब्रिज का उद्घाटन किया
जयशंकर और उनके समकक्ष हेराथ ने राष्ट्रपति दिसानायके की उपस्थिति में उत्तरी प्रांत के किलिनोच्ची जिले में 120 फुट लंबे डुअल कैरिजवे बेली ब्रिज का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। यह क्षेत्र चक्रवात से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित हुआ था। यह 110 टन वजनी पुल भारत से हवाई मार्ग द्वारा लाया गया था और इसे ऑपरेशन सागर बंधु के तहत स्थापित किया गया।भारत की तरफ से 35 करोड़ डॉलर की जो पैकेज देने की घोषणा की गई है उसमें 35 करोड़ डॉलर रियायती ऋण के रूप में और 10 करोड़ डॉलर अनुदान के तौर पर दी जाएगी।
जयशंकर ने कहा कि यह पैकेज श्रीलंका के साथ निकट परामर्श से तैयार किया गया है और इसमें बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं की बहाली और कृषि क्षेत्र की मदद शामिल है। श्रीलंका को भारत हमेशा से मदद करता रहा है। 2022 के आर्थिक संकट के दौरान भारत ने श्रीलंका को करीब 4 बिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान की जिसमें ईंधन, दवाइयां और खाद्य सामग्री शामिल थी। यह राशि श्रीलंका की कुल जरूरतों का 80 प्रतिशत से अधिक कवर करती थी।
इसकी वजह से ही श्रीलंका दीवालिया होने की स्थिति से बच गया। 2025 तक भारत की कुल सहायता पांच अरब डॉलर से ऊपर पहुंच चुकी है। हाल की चक्रवात राहत के तहत 1100 टन से अधिक राहत सामग्री भी भारत ने कुछ ही घंटों के नोटिस पर वहां पहुंचा दिया था। इसके अलावा भारत ने श्रीलंका में 1.95 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष निवेश भी किया है, जो ऊर्जा, पर्यटन और बंदरगाह विकास जैसे क्षेत्रों में है।

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