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    S Jaishankar: एस जयशंकर की ड्रैगन को दो टूक, बोले- चीन ने भारत के साथ समझौतों का किया उल्लंघन

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Wed, 02 Oct 2024 05:45 AM (IST)

    अमेरिकी थिंक टैंक कारनेगी एनडोमेंट फार इंटरनेशनल पीस में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा जहां तक चीन के साथ हमारे संबंधों की बात है तो यह एक लंबी कहानी है। संक्षेप में कहें तो सीमा पर शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए हमारे बीच समझौते थे। चीन ने उनका उल्लंघन किया। हमने सेनाओं को अग्रिम मोर्चों पर तैनात कर रखा है और उससे तनाव पैदा हो रहा है।

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    अग्रिम मोर्चों पर तैनाती का समाधान होने तक जारी रहेगा तनाव

     पीटीआई, वाशिंगटन। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि चीन ने भारत के साथ सीमा समझौतों का उल्लंघन किया है। साथ ही कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव जारी रहने से शेष संबंधों पर स्वाभाविक रूप से असर पड़ेगा।

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    चीन की वजह से हो रहा तनाव

    अमेरिकी थिंक टैंक 'कारनेगी एनडोमेंट फार इंटरनेशनल पीस' में एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा, 'जहां तक चीन के साथ हमारे संबंधों की बात है तो यह एक लंबी कहानी है। संक्षेप में कहें तो सीमा पर शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए हमारे बीच समझौते थे।

    चीन ने उनका उल्लंघन किया। हमने सेनाओं को अग्रिम मोर्चों पर तैनात कर रखा है और उससे तनाव पैदा हो रहा है। जब तक अग्रिम मोर्चों पर तैनाती का मसला नहीं सुलझता, तनाव बना रहेगा। अगर तनाव रहेगा तो बाकी रिश्तों पर भी स्वाभाविक रूप से असर पड़ेगा।'

    व्यापार के संबंध में जयशंकर ने कहा, 'वैश्विक विनिर्माण (मैनुफैक्चरिंग) में चीन की हिस्सेदारी लगभग 31-32 प्रतिशत है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कई दशकों तक पश्चिम के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय कारोबार जगत ने आपसी हितों के लिए चीन के साथ सहयोग करने का चुनाव किया। आज किसी भी देश के लिए जो किसी भी तरह की खपत करता है या विनिर्माण करता है तो चीन से सोर्सिंग करना अपरिहार्य है।'

    रूस और यूक्रेन के बीच संवाद कर रहा भारत

    जयशंकर ने कहा कि भारत युद्धरत रूस और यूक्रेन के बीच संवाद स्थापित कर रहा है ताकि दोनों देशों को अपने मतभेद सुलझाने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति यह है कि हम इस बात में विश्वास नहीं करते कि विभिन्न देशों के बीच मतभेदों या विवादों का समाधान युद्ध से किया जा सकता है।

    दूसरा, युद्ध के मैदान में निर्णायक परिणाम हासिल नहीं किए जा सकते। तीसरा, अगर युद्ध से निर्णायक परिणाम नहीं मिल रहे हैं तो कभी न कभी किसी न किसी रूप में वार्ता करनी होगी। वार्ता होगी तो कुछ तैयारी, कुछ अन्वेषण और संबंधित पक्षों के बीच कुछ संवाद करना होगा।

    पश्चिम एशिया की स्थिति पर विदेश मंत्री ने कहा, 'हम संघर्ष के व्यापक होने की संभावना से बहुत ¨चतित हैं, न सिर्फ जो लेबनान में हुआ, बल्कि हाउतियों एवं लाल सागर तक भी, और कुछ हद तक ईरान और इजरायल के बीच जो कुछ भी हुआ है।'

    एशियन नाटो के दृष्टिकोण से सहमत नही

    जापान के नए प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के एशियन-नाटो बनाने के विचार के बारे में जयशंकर ने कहा कि भारत उनके ²ष्टिकोण से सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत कभी भी किसी देश का संधि के जरिये सहयोगी नहीं रहा है। भारत का इतिहास अलग है और ²ष्टिकोण भी अलग है।