Russia Ukraine Crisis: सीजफायर के बिना विद्यार्थियों को निकालना मुश्किल, सुरक्षित गलियारा देने का वादा कर चुप हुए रूस व यूक्रेन
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि एक दिन पहले हमने रूस और यूक्रेन की तरफ से भारतीय छात्रों को निकालने को लेकर सुरक्षित गलियारा बनाने की बात सुनी थी लेकिन उसके बाद इस बारे में कोई बात नहीं हुई है।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अच्छी खबर यह है कि युद्धग्रस्त यूक्रेन से अभी तक 20 हजार भारतीयों को बाहर निकाला जा चुका है लेकिन बुरी खबर यह है कि तीन शहरों (पेसोचिन, खार्कीव और सुमी) में अभी भी एक हजार के करीब भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। इन छात्रों को निकालने में आ रही दिक्कतों को देखते हुए भारत ने एक बार फिर रूस और यूक्रेन से अपील की है कि इन छात्रों को निकालने के लिए सीजफायर करें क्योंकि इसके बिना उन्हें सुरक्षित निकालना मुश्किल है। इसी बीच कीव में गोलीबारी में घायल छात्र हरजोत ¨सह तक भारतीय दूतावास की पहुंच शाम खबर लिखे जाने तक नहीं हो पाई थी। हालांकि सरकार की तरफ से कीव अस्पताल में उनके इलाज का सारा खर्च उठाने की बात कही गई है।
भारतीय छात्रों को मोहरा बनाने पर तल्खी
शुक्रवार को यह बात भी साफ हो गई कि रूस और यूक्रेन आपसी दुश्मनी में भारतीय छात्रों को मोहरा बना रहे हैं। भारत ने परोक्ष तौर पर इस पर अपना क्षोभ भी जताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि एक दिन पहले हमने रूस और यूक्रेन की तरफ से भारतीय छात्रों को निकालने को लेकर सुरक्षित गलियारा बनाने की बात सुनी थी लेकिन उसके बाद इस बारे में कोई बात नहीं हुई है। हम यह भी सुन रहे हैं कि रूसी पक्ष की तरफ से 130 बसें तैयार की गई हैं लेकिन ये बसें जहां भारतीय छात्र हैं उससे कम से कम 50-60 किलोमीटर दूर हैं। पैदल जाना मुश्किल है और वहां से गुजरने में खतरा है जो हम नहीं चाहते कि भारतीय छात्र वो खतरा उठाएं। बागची ने तल्खी भरे स्वर में कहा कि, बसें तैयार करना काफी आसान है लेकिन अलग-अलग जगहों में शरण लिए छात्रों को वहां ले जाना बहुत ही कठिन है। यह तभी संभव है जब दोनों पक्षों की तरफ से युद्धविराम की घोषणा हो।
दरअसल, भारत को यह बात नागवार गुजर रही है कि किस तरह से उसके नागरिकों को लेकर रूस व यूक्रेन की तरफ से बयानबाजी हो रही है। खास तौर पर जिस तरह से गुरुवार को भारत की तरफ से इन्कार किए जाने के बावजूद जिस तरह से रूस की तरफ से यह मुद्दा उठाया गया है कि यूक्रेन के सैनिकों ने हजारों भारतीयों को अगवा कर रखा है और उन्हें बाहर नहीं जाने दे रहे हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी से टेलीफोन वार्ता के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कार्यालय और रूस के रक्षा मंत्रालय की तरफ से कहा गया था कि यूक्रेन में भारतीय छात्रों को ह्यूमन शील्ड बनाया जा रहा है। भारत की आपत्ति के बाद एक दिन पहले दोनों पक्षों ने कहा कि वो इन छात्रों को सुरक्षित निकालने को लेकर एक गलियारा बनाएंगे लेकिन अब भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस तरह की किसी सूचना मिलने से इन्कार किया है।
सुमी की स्थिति सबसे चिंताजनक
इन हालात के बीच यूक्रेन के सुमी शहर से जो खबरें आ रही हैं वो कापी ¨चता पैदा करने वाली हैं। सुमी शहर का संपर्क पूरी तरह से दूसरे शहर से टूटा हुआ है। कुछ छात्रों की तरफ से शुक्रवार को दिन भर यह संदेश भेजा गया कि उन्हें किसी भी तरह से वहां से निकाला जाए। यही स्थिति खार्कीव में फंसे छात्रों की भी है। विदेश मंत्रालय का अनुमान है कि सुमी में 900 और खार्कीव में 300 छात्र फंसे हो सकते हैं। भारी हमलों में इन शहरों की बिजली, पानी व दूसरी व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। इन शहरों के निवासी भी पलायन कर गए हैं। खार्कीव से निकल कर पेसोचिन पहुंचे भारतीय छात्रों को निकालने का काम जारी है। बागची ने बताया कि तीन मार्च को देर रात दो बसों से कुछ छात्रों को मालदोवा बार्डर पहुंचाया गया है जबकि चार मार्च को तीन बसें वहां से निकली हैं और देर रात दो और बसों की व्यवस्था कराई जा रही है। खार्कीव में भी तीन सौ छात्र हैं जिनको निकालने में परेशानी हो रही है। हम पेसोचिन में छात्रों के लिए जो करने में सफल रहे हैं वो सुमी में नहीं कर पा रहे।'
विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि सुमी व खार्कीव जैसे शहरों में ना तो ड्राइवर मिल रहे है और ना ही बसें चलाने के लिए जरूरी पेट्रोल।
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