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    भारत को बिना शर्त पांचवीं पीढ़ी के Su-57 लड़ाकू विमान देगा रूस, अमेरिकी F-35 को देगा टक्कर

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 09:17 PM (IST)

    रूस भारत को बिना किसी शर्त के पांचवीं पीढ़ी के एसयू-57 स्टेल्थ फाइटर जेट्स और तकनीक देने को तैयार है। रूसी एसयू-57 लड़ाकू विमानों को अमेरिकी एफ-35 का प्रतिद्वंद्वी माना जाता है। भारत में एसयू-57 के उत्पादन को लेकर भी रूस ने आश्वासन दिया है। रक्षा क्षेत्र में रूस और भारत का सहयोग लगातार मजबूत हो रहा है। यह कदम भारत की सैन्य ताकत को और बढ़ाएगा।

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    एसयू-57 स्टेल्थ फाइटर जेट्स। (फाइल)

    जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली: भारत की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस पांचवीं पीढ़ी के अपने एसयू-57 स्टेल्थ फाइटर जेट्स देने को तैयार हो गया है। वह इन लड़ाकू विमानों की तकनीक भी बिना शर्त ट्रांसफर करेगा। रूस का कहना है कि उसे इससे संबंधित भारत की कोई भी मांग पूरी तरह स्वीकार्य है।

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    रूसी एसयू-57 लड़ाकू विमानों को अमेरिकी एफ-35 का तोड़ माना जाता है। एफ-35 भी पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। अमेरिका लंबे समय से भारत को एफ-35 बेचना चाह रहा है। रूस से यह आश्वासन ऐसे समय आया है जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले दिनों मास्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है। पुतिन अगले महीने भारत आने वाले हैं।

    भारत में एसयू-57 के उत्पादन को तैयार

    दुबई एयर शो, 2025 से इतर समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में रूस की सरकारी रक्षा कंपनी रोस्टेक के सीईओ सर्गेई चेमेजोव ने कहा, भारत और रूस कई वर्षों से भरोसेमंद रक्षा साझीदार रहे हैं। भारत पर जब अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे थे, तब भी रूस ने भारत की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हथियारों की आपूर्ति जारी रखी थी।

    उन्होंने कहा, आज भी हमारी वही नीति है। भारत को उसकी जरूरत के मुताबिक हर तरह का सैन्य उपकरणों का आपूर्ति कर रहे हैं एवं भविष्य के सहयोग को और मजबूत कर रहे हैं। रूस की हथियार निर्यात कंपनी रोसोबोरोन एक्सपोर्ट के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि ने कहा कि एसयू-57 की तकनीक पर कोई रोकटोक नहीं होगी।

    इसमें इंजन, आपटिक्स, एईएसए रडार, स्टेल्थ तकनीक, एआइ, लो सिग्नेचर टेक्नोलाजी और आधुनिक हथियारों की जानकारी भी दी जा सकती है। अगर भारत चाहे तो एसयू-57 को भारत में ही बनाया जा सकता है। रूस ने भारत को टू-सीटर एसयू-57 बनाने की ज्वाइंट प्लानिंग का भी प्रस्ताव दिया है। उनका कहना है कि यह सब भारत में बिना किसी विदेशी प्रतिबंध की चिंता के किया जा सकेगा।

    भारत को एसयू-57 तकनीक मिलने का अर्थ

    भारत को एसयू-57 तकनीक मिलने का मतलब है कि भारत भविष्य में अपना एसयू-57 वर्जन बना सकता है। तकनीक ट्रांसफर करना सामान्य बात नहीं है। खासकर लड़ाकू विमान जैसे हाई-एंड डिफेंस सिस्टम में। दरअसल, लड़ाकू विमानों की तकनीक दुनिया में सबसे गोपनीय और संवेदनशील होती है। लड़ाकू विमान सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि किसी भी देश की सैन्य ताकत, इंजीनियरिंग क्षमता और रणनीतिक बढ़त का प्रतीक है।

    रूस ने चीन को नहीं दी एसयू-57 की तकनीक

    चीन भी रूस का सबसे बड़ा रक्षा साझीदार है, लेकिन उसने उसे भी एसयू-57 की तकनीक नहीं दी है। रूस ने चीन को सिर्फ एसयू-35 लड़ाकू विमान दिए हैं, लेकिन उसके इंजन की तकनीक हस्तांतरण नहीं की। अमेरिका किसी भी देश को तकनीक का ट्रांसफर नहीं करता। इससे खरीदार देश को कई तरह के नुकसान होते हैं। तकनीक नहीं मिलने से खरीदार देश को रखरखाव, मरम्मत, कलपुर्जों एवं अपग्रेडेशन के लिए हमेशा आपूर्तिकर्ता देश पर निर्भर रहना पड़ता है।

    जब भारत को तकनीक ट्रांसफर नहीं होने का उठाना पड़ा नुकसान

    पिछली सदी के नौवें दशक में भारत ने फ्रांस से मिराज-2000 लड़ाकू विमान खरीदे थे। लेकिन इंजन, रडार, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि किसी की भी तकनीक नहीं मिली। तीन दशक बाद मिराज के इंजन और एवियोनिक्स पुराने होने लगे थे। लिहाजा भारत को अपग्रेडेशन के लिए कई हजार करोड़ रुपये चुकाने पड़े थे।

    भारत खुद बना रहा पांचवीं पीढ़ी के युद्धक विमान

    भारत खुद भी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान पर काम कर रहा है। इसका प्रोटोटाइप दो-तीन वर्षों में पूरा हो जाएगा। 2024 में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने इसके डिजायन और डेवलपमेंट के लिए 15 हजार करोड़ रुपये मंजूर किए थे। भारतीय विमान में भी एडवांस स्टेल्थ टेक्नोलॉजी होगी। यह दुनिया में मौजूद पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ लड़ाकू विमानों जैसा या उससे बेहतर होगा।