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    रुपए में लगातार गिरावट जारी, महंगाई बढ़ने से आपकी जेब पर पड़ेगा असर

    Updated: Sun, 16 Feb 2025 08:00 PM (IST)

    सेंट्रम ब्रोकिंग के अनुसार रुपये में गिरावट से महंगाई का संकट बढ़ सकता है खासकर इंपोर्टेड सामान की कीमतों पर असर पड़ेगा। हालांकि खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट और रबी बुआई की प्रगति से मुद्रास्फीति में कमी आई है। आरबीआई ने ब्याज दरों को स्थिर रखा है जिससे विकास पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। आने वाले महीनों में रुपये की गिरावट पर नजर रखना आवश्यक होगा।

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    रुपये में गिरावट से आयातित सामान आमतौर पर महंगे हो जाते हैं।

    एएनआई, नई दिल्ली। वित्तीय सेवा कंपनी सेंट्रम ब्रोकिंग के मुताबिक, अगर रुपये में गिरावट जारी रहती है तो इससे महंगाई का संकट बढ़ सकता है। इसका सबसे ज्यादा असर इंपोर्ट प्रोडक्ट पर पड़ेगा। फिलहाल रुपया अब के सबसे निचले स्तर पर या उसके आसपास कारोबार कर रहा है।

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    रुपये में गिरावट से आयातित सामान आमतौर पर महंगे हो जाते हैं। रबी की बुआई में लगातार प्रगति और खाद्य कीमतों में नरमी के चलते खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी को चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति को कम करने में योगदान देने वाले एक प्रमुख कारक के तौर पर देखा जा रहा है।

    एमपीसी ने अपना 'तटस्थ' रुख बनाए रखा

    जनवरी में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति पांच महीने के निचले स्तर 4.3 प्रतिशत पर थी। यह आरबीआई के दो से छह प्रतिशत सीमा के बीच में बनी हुई है।

    मुद्रास्फीति में कमी का एक प्रमुख कारण खाद्य कीमतों में गिरावट आना रहा है। सेंट्रम की रिपोर्ट में कहा गया है, ''चूंकि एमपीसी ने अपना 'तटस्थ' रुख बनाए रखा है, इसलिए दरों में कटौती का भविष्य आने वाले मैक्रो डेटा पर निर्भर करेगा। मुद्रास्फीति की समस्या के फिलहाल पीछे रहने के साथ, आरबीआई के पास विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अधिक जगह होगी।''

    देश पिछले कुछ महीनों से उच्च खाद्य मुद्रास्फीति का सामना कर रहा था, जिसका मुख्य कारण सब्जियों, फलों, तेलों और वसा की मुद्रास्फीति में वृद्धि थी। अब ऐसा लगता है कि इसमें कमी आई है। भारत में नीति निर्माताओं के लिए उच्च खाद्य कीमतें एक समस्या थीं, जो खुदरा मुद्रास्फीति को स्थायी आधार पर चार प्रतिशत पर लाना चाहते थे।

    आरबीआई ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने के लिए लगभग पांच वर्षों तक रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत के स्तर पर बनाए रखा था। रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर आरबीआइ अन्य बैंकों को उधार देता है। आरबीआइ ने हाल ही में अर्थव्यवस्था में वृद्धि और खपत पर जोर देने के लिए रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कमी की है।

    रुपये में गिरावट पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत

    सेंट्रम ने कहा, ''जनवरी में सीपीआइ में कमी आने की प्रमुख वजह खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी थी। हमें उम्मीद है कि यहां से कीमतें और कम होंगी, क्योंकि ताजा सब्जियां और दालें बाजार में आने की उम्मीद है।''

    रिपोर्ट में कहा गया है, ''हमें उम्मीद है कि 2024-25 में मुद्रास्फीति औसतन 4.8 प्रतिशत रहेगी। मुद्रास्फीति में यह तेज गिरावट आरबीआइ को 25 आधार अंकों की और कटौती के लिए पर्याप्त जगह देगी। हालांकि रुपये में गिरावट पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है, क्योंकि इसका घरेलू मुद्रास्फीति पर असर पड़ सकता है।''

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