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    पन्‍नीरसेल्‍वम को मुख्‍यमंत्री बनाए जाने की ‘जल्‍दबाजी’ पर अन्नाद्रमुक में नाराजगी

    By Monika minalEdited By:
    Updated: Thu, 08 Dec 2016 01:06 PM (IST)

    तमिलनाडु की मुख्‍यमंत्री जयललिता के निधन के तुरंत बाद ही आनन-फानन में पन्‍नीरसेल्‍वम को मुख्‍यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई, जिसपर पार्टी के ही कई नेता सवाल उठा रहे हैं।

    चेन्नई (जेएनएन)। अन्नाद्रमुक की ताकतवर नेता और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जे. जयललिता के निधन के तुरंत बाद पार्टी में विवाद शुरू हो गया है। जल्दबाजी में ओ पन्नीरसेल्वम को मुख्यमंत्री बनाए जाने की कवायद पर वरिष्ठ नेताओं ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं, क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि शशिकला ने अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए यह अस्थायी कदम उठाया है। तमिलनाडु विधानसभा में एआइएडीएमके के 135 विधायक हैं और ऐसा मानना है कि इनमें से 100 विधायकों का साथ शशिकला को है।

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    सत्ता में शशिकला!

    जयललिता के निधन से पहले ही सोमवार शाम से दो प्रमुख जाति समूहों के बीच राजनीति की सत्ता के लिए संघर्ष चल रहा है, जो अब शशिकला की बड़ी भूमिका में आने की कहानी बयां कर रहा है। कुछ विधायक जो मंगलवार को पार्टी की जनरल सेक्रेटरी के रूप में शशिकला को समर्थन देने के लिए तैयार थे, उन्होंने बुधवार को अपना पाला बदल लिया।

    ...ताकि न हो विरोध

    एक सीनियर एआइएडीएमके नेता ने बताया, 'हमें ऐसा लगता है कि पन्नीरसेल्वम को जल्दबाजी में मुख्यमंत्री इसलिए बनाया गया, ताकि शशिकला के विरोध में कोई और न खड़ा हो पाए।' जयललिता के शासनकाल के दौरान भी पार्टी के कई मामलों में शशिकला का बड़ा हस्तक्षेप था। ऐसा मानना है कि शशिकला और पनीरसेल्वम को अपने समुदाय, थेवर से पूरा समर्थन प्राप्त है।

    बचाव पक्ष ने कहा-

    एक वरिष्ठ अन्नाद्रमुक सांसद ने कहा किसी भी अनिश्चितता से बचने के लिए जल्दबाजी की गयी। 'हमारे प्रतिद्वंद्वी घात लगाकर बैठे हैं। यहां तक कि अपनी मां इंदिरा गांधी की अंत्येष्टि से पहले राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। पार्टी के अन्य सदस्यों ने इस तरह के और भी मौकों का जिक्र किया, जब मुख्यमंत्रियों के मरने से पहले आंतरिक मंत्रियों ने जिम्मवारी ली थी। जनवरी 1969 में सी एन अन्नादुरै की मौत के बाद डीएमके के वरिष्ठ नेता वी आर नेदुनंचेजियान को मुख्यमंत्री बनाया गया था और वे 3 फरवरी से 10 फरवरी 1969 तक इस पद पर बने रहे। इसी तरह एआइएडीएमके के संस्थापक एमजीआर के 24 दिसंबर, 1987 में निधन के बाद उनकी पत्नी जानकी को मुख्यमंत्री बना दिया गया था।

    राजाजी हॉल में शशिकला के रिश्तेदार

    राजाजी हॉल में जयललिता के पार्थिव शरीर के साथ शशिकला के रिश्तेदारों की उपस्थिति कई पार्टी सदस्यों को खटक गयी थी। उस वक्त पार्टी के नेताओं के बजाय सभी रिश्तेदार ही केंद्र में थे। एक नेता ने कहा, 'वहां उपस्थित सभी परिजनों में शशिकला के पति एम नटराजन भी थे, जिन्हें जयललिता ने पार्टी से निकाल दिया था। उन्हें इतनी महत्ता कैसे दी गयी? अम्मा की इच्छा पूरी करने में शशिकला असफल रहीं।'

    तीन दिन की शोक अवधि के पहले दिन, बुधवार को अधिकांश पार्टी के सदस्य घरों में ही रहे। कुछ वरिष्ठ मंत्रियों को पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के साथ मरीना भेजा गया, ताकि स्मारक बनाने की योजना पर विचार किया जा सके। इस बीच पार्टी की भविष्य के लिए योजना पर चर्चा के लिए असंतुष्ट पार्टी सदस्य अलग-अलग ग्रुप में मिल रहे हैं।

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