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    ट्रंप की टैरिफ धमकियों खिलाफ एकसुर हुए सत्ताधारी और विपक्षी दल, अमेरिका पर जमकर बोला हमला

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Thu, 07 Aug 2025 02:20 AM (IST)

    सत्ताधारी पार्टी और मुख्य विपक्ष दल दोनों ने एकजुटता दिखाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत की ओर से रूसी तेल खरीद के चलते और टैरिफ बढ़ाने की धमकी की कड़ी निंदा की है। भाजपा के उपाध्यक्ष बैजयंत जय पांडा ने कहा कि अमेरिका का दुश्मन होना खतरनाक हो सकता है लेकिन दोस्त होना घातक है। मनीष तिवारी बोले ट्रंप की टिप्पणियां भारतीयों के आत्मसम्मान को चोट पहुंचाने वालीं।

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    ट्रंप की टैरिफ धमकियों खिलाफ एकसुर हुए सत्ताधारी और विपक्षी दल (फोटो- रॉयटर)

     रॉयटर, नई दिल्ली। सत्ताधारी पार्टी और मुख्य विपक्ष दल दोनों ने एकजुटता दिखाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत की ओर से रूसी तेल खरीद के चलते और टैरिफ बढ़ाने की धमकी की कड़ी निंदा की है।

    अमेरिका का दुश्मन होना खतरनाक मगर दोस्त होना घातक : बैजयंत

    भाजपा के उपाध्यक्ष बैजयंत जय पांडा ने शीत युद्ध के युग के सबसे शक्तिशाली अमेरिकी राजनयिक हेनरी किसिंजर का उद्धरण देते हुए कहा कि अमेरिका का दुश्मन होना खतरनाक हो सकता है, लेकिन दोस्त होना घातक है।

    मनीष तिवारी बोले- ट्रंप की टिप्पणियां भारतीयों के आत्मसम्मान को चोट पहुंचाने वालीं

    कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि ट्रंप की अपमानजनक टिप्पणियां भारतीयों की गरिमा और आत्मसम्मान को चोट पहुंचाने वाली हैं। उधर, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि देश को रूसी तेल खरीदने के चलते अन्यायपूर्ण तरीके से निशाना बनाया जा रहा है।

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    थरूर ने साधा निशाना

    कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम से "अमेरिका में बहुत से लोगों के लिए हमारे सामान अप्राप्य हो जाएंगे।" उन्होंने बताया कि चीन भारत की तुलना में ज्यादा रूसी तेल समेत कई तरह की सामग्री आयात करता है, लेकिन उसे अमेरिकी टैरिफ से "90 दिनों की छूट" मिली हुई है।

    ट्रंप का दोहरा मानदंड- थरूर

    थरूर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यूरेनियम, पैलेडियम जैसी कई चीजें हैं जो अमेरिका रूस से आयात कर रहा है। दुर्भाग्य से, इसमें एक तरह का दोहरा मानदंड शामिल है।

    उन्होंने चीन को 90 दिनों की छूट दी है, लेकिन चीन हमसे कहीं ज्यादा रूसी तेल आयात कर रहा है। इसलिए साफ है कि यह उस देश की ओर से कोई खास दोस्ताना व्यवहार नहीं है जिसके बारे में हमने सोचा था कि वह हमारे प्रति अच्छा रुख रखता है, एक ऐसे प्रशासन की ओर से जिसके बारे में हमने सोचा था कि वह हमारे प्रति अच्छा रुख रखता है।

    भारत रूस से समुद्री कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार

    साथ ही कहा कि जो देश भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे खुद भी तो रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं। बता दें कि भारत रूस से समुद्री कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। इस वर्ष जनवरी से जून के बीच लगभग 1.75 मिलियन बैरल प्रति दिन रूसी तेल का आयात किया गया है।

    रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से अमेरिका समेत पश्चिमी देश भारत पर रूस से तेल न खरीदने और दूरी रखने का दबाव बनाए हुए हैं लेकिन भारत अमेरिकी धमकी के आगे झुका नहीं है।

    रूसी रसायनों व उर्वरकों के अमेरिकी आयात पर ट्रंप बोले, ''मुझे इस बारे में नहीं पता''

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि अमेरिका रूसी रसायनों और उर्वरकों का आयात करता है। उनका यह बयान भारत के उस दावे के बाद आया है जिसमें उसने कहा था कि अमेरिका अपने परमाणु उद्योग के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, उर्वरक और रसायनों का रूस से आयात जारी रखे हुए है।

    व्हाइट हाउस में एक प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान जब अमेरिका द्वारा रूसी रसायनों और उर्वरकों के आयात के बारे में पूछा गया, तो ट्रंप ने कहा, ''मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता। हमें इसकी जांच करनी होगी।''

    ट्रंप ने भारत को लेकर कही ये बात

    इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोमवार को ट्रुथ सोशल पर पोस्ट में कहा था, ''भारत न केवल भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि खरीदे गए तेल का एक बड़ा हिस्सा खुले बाजार में भारी मुनाफे पर बेच रहा है। उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं है कि रूसी युद्ध मशीन द्वारा यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं। इसी वजह से मैं भारत द्वारा अमेरिका को दिए जाने वाले टैरिफ में काफी वृद्धि करूंगा। इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद!!!''

    भारत ने ट्रंप के बयान का कड़ा विरोध किया

    भारत ने उनके बयान का कड़ा विरोध किया था। भारत का कहना था, ''दरअसल, भारत ने रूस से आयात इसलिए शुरू किया क्योंकि (यूक्रेन) संघर्ष छिड़ने के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी। उस समय अमेरिका ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों की स्थिरता को मजबूत करने के लिए भारत द्वारा ऐसे आयातों को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था। भारत के आयात का उद्देश्य भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अनुमानित और किफायती ऊर्जा लागत सुनिश्चित करना है। वैश्विक बाजार की स्थिति के कारण ये एक अनिवार्य आवश्यकता है। हालांकि, भारत की आलोचना करने वाले देश स्वयं रूस के साथ व्यापार में लिप्त हैं। हमारे मामले के विपरीत, ऐसा व्यापार कोई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बाध्यता भी नहीं है।''

    रूस के साथ व्यापार कर रहा अमेरिका- भारत

    सरकार ने रूस और अमेरिका एवं यूरोपीय संघ, दोनों के बीच निरंतर व्यापार की ओर भी इशारा किया। विदेश मंत्रालय ने कहा, ''जहां तक अमेरिका का सवाल है, वह अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, अपने इलेक्टि्रक वाहन उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायनों का आयात जारी रखे हुए है। इस पृष्ठभूमि में भारत को निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण है। किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह भारत अपने राष्ट्रीय हितों व आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।''