मेघालय में RSS का शक्ति प्रदर्शन, जनजातीय समुदाय का मिला समर्थन
पूर्वोत्तर भारत में मतांतरण के बावजूद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की वर्षों की तपस्या मेघालय में पथ संचलन के रूप में दिखाई दे रही है। इन संचलनों में 95% से अधिक स्थानीय जनजातियों के लोग शामिल हैं। विजय दशमी पर आयोजित कार्यक्रमों में जयंतिया और खासी जनजातियों के युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। आरएसएस के लिए यह बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि मेघालय में बड़ी संख्या में ईसाई आबादी है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ फाइल फोटो
ओमप्रकाश तिवारी, जागरण मुंबई। पूर्वोत्तर भारत के ज्यादातर राज्य मतांतरण के कारण ईसाई बहुल हो चुके हैं। लेकिन, इन्हीं क्षेत्रों में वर्षों से की जा रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तपस्या का परिणाम उसके शताब्दी वर्ष में मेघालय की सड़कों पर पथ संचलन के रूप में उतरता दिखाई देने लगा है। विशेष बात यह है कि इन पथ संचलनों में भाग लेने वाले 95 प्रतिशत से अधिक लोग स्थानीय जनजातियों के हैं।
इसी माह के प्रथम सप्ताह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से विजय दशमी के अवसर पर पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हुआ है। इसी कड़ी में पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय के 12 जिलों में भी 17 कार्यक्रम हुए। इनमें चार पूर्ण व्यवस्थित पथ संचलनों (परेड) ने लोगों का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया।95% से अधिक स्थानीय जनजातीय लोग शामिल, क्योंकि इनमें पूर्ण गणवेश में जयंतिया और खासी जनजातियों के युवकों ने बैंड-बाजे के साथ हिस्सा लिया। यही नहीं, इन जनजातीय समुदायों की युवतियों ने भी अपनी पारंपरिक पोशाकों में उपस्थित रहकर अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और पथ संचलन करने वाले युवाओं का उत्साहवर्द्धन किया।
मेघालय में आरएसएस का पथ संचलन
सूत्रों के अनुसार, पूर्वी जयंतिया हिल्स क्षेत्र में दो अक्तूबर को हुए पथसंचलन में पनार भाषा बोलने वाले जयंतिया समुदाय के 222 स्वयंसेवक गणवेश (संघ की निर्धारित पोशाक) में एवं 39 बिना गणवेश के शामिल हुए। यहां 639 महिलाएं भी शामिल थीं। पांच अक्टूबर को पश्चिम जयंतिया हिल्स क्षेत्र में हुए पथ संचलन में पनार भाषी 232 गणवेशधारी युवक एवं 468 महिलाएं शामिल हुईं। पांच अक्टूबर को ही मेघालय की राजधानी शिलांग में हुए पथसंचलन में खासी समुदाय के 429 गणवेशधारी युवक एवं 130 महिलाएं शामिल हुईं।
पथ संचलन में 69 गणवेशधारी युवक शामिल
इसी प्रकार पश्चिमी गारो हिल्स क्षेत्र के पथ संचलन में 69 गणवेशधारी युवक शामिल हुए। मेघालय में संघ के जोवाई विभाग के कार्यवाह राजीव बारे बताते हैं कि उनके क्षेत्र में हुए पथ संचलन में तो सौ प्रतिशत युवक जयंतिया जनजाति के ही शामिल हुए थे। उनके अनुसार, स्थानीय जनजातियों के बीच इस प्रकार की पैठ बनना संघ के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि 2011 जनगणना के अनुसार मेघालय की आबादी में 75 से 80 प्रतिशत लोग ईसाई बन चुके हैं। लेकिन यह उपलब्धि आसानी से हासिल नहीं हुई है। संघ मेघालय सहित पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की जनजातियों के बीच कई दशकों से चुपचाप अपना काम करता रहा है। जिसका परिणाम धीरे-धीरे अब दिखाई देने लगा है।

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