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    सभी धर्म के बच्चों के लिए RSS खोलने जा रहा है अनोखा मदरसा, जानिए इसकी खासियत

    By Nitin AroraEdited By:
    Updated: Tue, 21 May 2019 04:18 PM (IST)

    कंप्यूटर शिक्षा सहित धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ स्कूली शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) देहरादून में खोलने जा रहा है मदरसा।

    सभी धर्म के बच्चों के लिए RSS खोलने जा रहा है अनोखा मदरसा, जानिए इसकी खासियत

    देहरादून। कंप्यूटर शिक्षा सहित धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ स्कूली शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का सहयोगी संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) जल्द ही उत्तराखंड में एक मदरसा खोलने की तैयार में है। बता दें कि देहरादून में खुलने जा रहा यह मदरसा, MRM द्वारा देश भर में चलाए जाने वाला छठा मदरसा होगा। पहले पांच मदरसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तीन जिलों में है। मुरादाबाद, बुलंदशहर और हापुड़ में एक-एक और मुजफ्फरनगर में दो मदरसे बने हुए है।

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    जानकारी के मुताबिक देहरादून में मदरसा के लिए जमीन पहले ही खरीदी जा चुकी है और संभावनाएं हैं कि यह अगले छह महीनों के भीतर ही शुरू कर दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि एमआरएम छात्रों से मामूली शुल्क भी लेगा। शुरुआत में, मदरसा कक्षा I से III का संचालन करेगा और बाद में इसके फीडबैक को लेकर कक्षाओं को आगे बढ़ाने पर विचार किया जाएगा।

    एमआरएम के राष्ट्रीय उप-महासचिव तुषार कांत हिंदुस्तानी (जो इस परियोजना को देख रहे हैं) ने मीडिया को बताया, 'हमारे मदरसे सुनिश्चित करेंगे कि छात्र सिर्फ क़ाज़ी (शरीयत अदालतों में न्यायाधीश), कारी (मदरसे में धर्म के शिक्षक), इमाम (सामुदायिक नमाज़ के नेता), मौलाना (विद्वान पुरुष) और मुफ़्ती (जो फतवा जारी करते हैं) न बनें, बल्कि इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक और अन्य पेशेवरों के रूप में भी ग्रैजुएट हो'। 

    उन्होंने कहा कि 'हिंदुस्तानी' मदरसों का उद्देश्य छात्रों में बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ मानवतावाद और राष्ट्रवाद जैसे मूल्यों को भी विकसित करना होगा। उन्होंने कहा, छात्र एपीजे अब्दुल कलाम और अशफाकउल्ला खान की तरह बनेंगे न कि अजमल कसाब की तरह। उन्होंने कहा कि हर धर्म और बैकग्राउंड के बच्चों को मदरसों में प्रवेश मिलेगा।

    एमआरएम की राज्य संयोजक सीमा जावेद ने कहा कि उत्तराखंड को अगले छह महीने के भीतर संगठन द्वारा स्थापित अपना पहला मदरसा मिल जाएगा। 'हम एक मामूली शुल्क लेंगे और बच्चों को हर तरह की शिक्षा दी जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ वर्षों से, एमआरएम ने राष्ट्र निर्माण में 'हिंदुस्तानी मदरसों' की भूमिका पर जोर देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और सम्मेलनों का आयोजन किया है।

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