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    Indian Railways: रेलवे को 'कोविड-19' साफ्टवेयर से चूना लगाने वाले दलाल RPF की गिरफ्त में, 43 लाख रुपये से अधिक के टिकट बरामद

    By Shashank MishraEdited By:
    Updated: Mon, 29 Aug 2022 09:23 PM (IST)

    रेलवे के गोपनीय जांच अभियान में करोड़ों का टिकट बनाने वाले ऐसे गिरोह को पकड़ा है जिनके पास से 43 लाख रुपये के बुक हुए टिकट बरामद किए गए हैं। इस गिरोह के बारे में पहली सूचना गुजरात के राजकोट के मन्नान वाघेला के रूप में मिली थी।

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    रेलवे के गोपनीय जांच अभियान में करोड़ों का टिकट बनाने वाले गिरोह को पकड़ा है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय रेलवे में यात्रियों की बढ़ती संख्या के बीच टिकटों की भारी मांग के चलते अवैध कारोबार करने वाले गिरोह सक्रिय हैं। रेलवे की टिकट बुकिंग साफ्टवेयर में घुसपैठ कर अवैध रूप से टिकट बनाने वालों के चलते भारतीय रेलवे को भारी नुकसान हो रहा है। वहीं यात्रियों को रेलवे की साइट पर रिजर्व टिकट पाने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसी के मद्देनजर आरपीएफ ने 'आपरेशन उपलब्ध' चलाकर एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह का संजाल गुजरात, महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ है। उन्होंने अपने साफ्टवेयर का नाम 'कोविड-19' रखा है।

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    रेलवे के गोपनीय जांच अभियान में करोड़ों का टिकट बनाने वाले ऐसे गिरोह को पकड़ा है, जिनके पास से 43 लाख रुपये के बुक हुए टिकट बरामद किए गए हैं। रेलवे में टिकटों की मांग व आपूर्ति के बीच अंतर का लाभ उठाने के लिए ऐसे दलालों के गिरोह सक्रिय हैं, जिन पर काबू पाने के लिए रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) समय-समय पर अभियान चलाता रहता है।

    कोविड-19, एएनएमएस बैक व ब्लैक टाइगर नाम के साफ्टवेयर से करते थे ठगी

    इस गिरोह के बारे में पहली सूचना गुजरात के राजकोट के मन्नान वाघेला नाम के ट्रैवल एजेंट के बारे में मिली। इसके आधार पर आरपीएफ ने छापा मार कर उसे गिरफ्तार कर लिया। वाघेला कोविड-19 नामक साफ्टवेयर का उपयोग कर रहा था, जिसके मार्फत वह थोक में रेलवे टिकट बुक कर रहा था।

    उससे पूछताछ के आधार पर मुंबई से कन्हैया गिरी नामक दलाल पकड़ा गया, जो कोविड-19, एएनएमएस बैक व ब्लैक टाइगर नाम से साफ्टवेयर बेचता था। इसके लिए वह इंटरनेट मीडिया पर अपना प्रचार भी करता था। आरपीएफ की कड़ी पूछताछ में दलाल गिरी ने कई और दलालों के नाम बताए जिन्हें साफ्टवेयर बेचा था। इनमें गुजरात के वापी के अभिषेक शर्मा प्रमुख हैं। इसके अलावा मुंबई से अमन शर्मा, बलसाड गुजरात से बिरेंद्र गुप्ता और उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर से अभिषेक तिवारी को गिरफ्तार किया गया है।

    आरपीएफ कई और लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। रेलवे टिकट बुकिंग वाले अवैध साफ्टवेयर की खरीद-बिक्री करने वालों के इन गिरोहों की जांच जारी है। इन अवैध साफ्टेवयरों के साथ 43 लाख 42 हजार 750 रुपये की लागत वाले 1688 टिकटों को जब्त किया है। इन लोगों ने इससे पहले करीब 28 करोड़ 14 लाख रुपये के टिकट बेचे हैं। साफ्टवेयर से तत्काल टिकटों की बुकिंग के समय रूसी ओसीआर साफ्टेवयर से शीघ्रता से बुकिंग करते हैं और सामान्य यात्री के हितों को नुकसान होता है।