अफ़सोस! रोबो की दुनिया में पिछड़ गया भारत सबसे निचले पायदान पर हैं हम
इंटरनेशनल फेडरेडशन ऑफ रोबोटिक्स के अनुसार रोबोट कामगारों के मामले में भारत सबसे पीछे है। ऑटोमेशन समय की मांग है। उद्योग-धंधों में रोबोट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। भले ही अपने कुशल और विशाल मानव संसाधन के बूते भारत की दुनियाभर में धाक हो, यहां आइटी- सॉफ्टवेयर के सैंकड़ों हब बन गए हों, लेकिन औद्योगिक क्षेत्र में स्वचालित यंत्रों के इस्तेमाल में हम बेहद कमजोर हैं। इंटरनेशनल फेडरेडशन ऑफ रोबोटिक्स के अनुसार रोबोट कामगारों के मामले में भारत सबसे पीछे है। ऑटोमेशन समय की मांग है। उद्योग-धंधों में रोबोट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। दुनिया भर में औद्योगिक उत्पादन से लेकर क्वालिटी कंट्रोल तक में रोबोट लगाए जा रहे हैं।
दक्षिण कोरिया शीर्ष पर
2016 में यहां प्रति दस हजार कामगारों पर 631 औद्योगिक रोबोट थे। इनका प्रयोग मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और विनिर्माण क्षेत्रों में किया जा रहा था। सिंगापुर दूसरे स्थान पर है। वहां औसत 488 का है। 90 फीसद इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में स्थापित हैं। वैश्विक स्तर पर जर्मनी और जापान मोटर वाहन उद्योगों के लिए जाने जाते हैं, जहां रोबोट घनत्व प्रति दस हजार कामगारों पर 300 से अधिक है। हालांकि, जापान वास्तव में औद्योगिक रोबोटों का दुनिया का प्रमुख निर्माता है, जिस पर 52 प्रतिशत वैश्विक आपूर्ति की जिम्मेदारी है।
2020 तक देश में बढ़ेंगे रोबोट
अनुमान के मुताबिक 2020 तक भारत में 6,000 औद्योगिक रोबोट का प्रयोग होने लगेगा। भारत के मोटर वाहन उद्योग में भी इन रोबोट का भविष्य देखा जा रहा है। गुरुग्राम में मारुति सुजुकी के कारखाने में 7,000 श्रमिकों और 1,100 रोबोट से काम लिया जा रहा है। कार निर्माता फोर्ड के गुजरात संयंत्र ने 453 रोबोटों के साथ अपना 90 फीसद काम स्वचालित कर दिया है।
हुंडई मोटर की चेन्नई, फॉक्सवैगन इंडिया और टाटा मोटर्स की पुणे इकाइयों में भी बड़ी संख्या में रोबोट से काम लिया जा रहा है। बजाज ऑटो ने भी अपनी औद्योगिक इकाइयों में सहयोगी रोबोट तैनात कर दिए हैं। बड़े शहरों में जल्द ही कई मैन्युफैक्चरिंग संयंत्रों में रोबोट कार्यरत होंगे।