Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सीट बेल्ट और हेलमेट की अनदेखी ने 2022 में ली 66,744 लोगों की जान, सड़क परिवहन मंत्रालय ने जारी की रिपोर्ट

    सड़क सुरक्षा को लेकर तमाम बातों और प्रयासों के बावजूद तस्वीर और चिंताजनक हो गई है। इसमें न सरकार की पहल काम आई और न लोगों की लापरवाही में कोई कमी दिखाई दी। साल 2022 में सड़क दुर्घटनाओं की रिपोर्ट बताती है कि 2021 के मुकाबले हादसे भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए और उनमें जान गंवाने वालों की संख्या भी।

    By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Tue, 31 Oct 2023 08:45 PM (IST)
    Hero Image
    2022 में सड़क दुर्घटनाएं रिकॉर्ड 4,43,366 स्तर पर (फाइल फोटो)

    मनीष तिवारी, नई दिल्ली। सड़क सुरक्षा को लेकर तमाम बातों और प्रयासों के बावजूद तस्वीर और चिंताजनक हो गई है। इसमें न सरकार की पहल काम आई और न लोगों की लापरवाही में कोई कमी दिखाई दी। साल 2022 में सड़क दुर्घटनाओं की रिपोर्ट बताती है कि 2021 के मुकाबले हादसे भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए और उनमें जान गंवाने वालों की संख्या भी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रिपोर्ट के अनुसार राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों से मिले आंकड़ों के आधार पर 2022 में 461,312 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं और इनमें 168,491 लोगों की जान गई तथा 4,43,366 लोग घायल हुए। साल 2021 के मुकाबले दुर्घटनाओं में 11.9, मौतों में 9.4 और घायलों की संख्या में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, यानी सड़कों के नेटवर्क और गाड़ियों की संख्या बढ़ने के साथ ही सड़क सुरक्षा उतनी ही लचर होती जा रही है।

    सीट बेल्ट-हेलमेट लगाते तो नहीं होता एक्सीडेंट

    लोगों की लापरवाही और नियमों की अनदेखी का आलम यह है कि हेलमेट और सीट बेल्ट जैसे सुरक्षा के उपाय न अपनाने के कारण 66,744 लोगों की जान गई। यह कुल मौतों का 40 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि अगर केवल सीट बेल्ट और हेलमेट की अनिवार्यता को पूरा किया गया होता तो सड़क सुरक्षा की स्थिति कुछ बेहतर होती। हेलमेट और सीट बेल्ट जानलेवा हादसों और गंभीर चोटों को रोकने के लिए बेहद जरूरी हैं।

    हेलमेट न पहनने से 50029 लोगों की गई जान

    हेलमेट कुछ अपवादों को छोड़कर सभी दो पहिया वाहन सवारों के लिए अनिवार्य है, लेकिन पिछले साल 50029 दोपहिया सवार हेलमेट न पहनने के कारण काल के गाल में समा गए। इनमें से 35,692 (71.3 प्रतिशत) ड्राइवर थे और 14,337 (28.7 प्रतिशत) पीछे बैठे लोग। इसी तरह सीट बेल्ट न पहनने की कीमत 16715 लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। इनमें से 8384 ड्राइवर और शेष 8331 लोग सहयात्री थे।

    पिछले साल हेलमेट न पहनने से 46593 लोगों की जान गई

    साल 2021 में भी 16397 लोग सीट बेल्ट न पहनने के कारण मौत के शिकार हुए थे, जबकि हेलमेट न पहनने के कारण सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या 46593 थी। हेलमेट और सीट बेल्ट न पहनने के कारण घायल (क्रमश: 1,01,891 और 42,303) होने वालों की संख्या भी बड़ी है। हेलमेट जैसी जरूरत की अनदेखी के कारण जान गंवाने वाले दोपहिया वाहन चालकों की संख्या सबसे अधिक तमिलनाडु (6344) उत्तर प्रदेश (3883), महाराष्ट्र (3782), मध्य प्रदेश (3444) और छत्तीसगढ़ (2867) में है।

    यूपी में पीछे बैठी सवारी नहीं पहनती हेलमेट

    अगर पीछे बैठने वाले उन लोगों की बात की जाए जिन्होंने हेलमेट न होने के कारण जान गंवाई तो खराब रिकॉर्ड उत्तर प्रदेश (2466), महाराष्ट्र (1497), मध्य प्रदेश (1425), तमिलनाडु (1268) और आंध्र प्रदेश (970) के हिस्से में आता है। यही स्थिति सीट बेल्ट के संदर्भ में भी। उत्तर प्रदेश में 1847, मध्य प्रदेश में 925, महाराष्ट्र में 771, राजस्थान में 680 तथा गुजरात में 495 वाहन चालकों को केवल इसलिए जान गंवानी पड़ी, क्योंकि उन्होंने सीट बेल्ट नहीं पहनी थी।

    ट्रैफिक नियमों की अनदेखी भी हादसों की मुख्य वजह

    सीट बेल्ट और हेलमेट ही नहीं, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी हादसों की मुख्य वजह है। ओवर स्पीडिंग अभी भी 71 प्रतिशत से अधिक हादसों की मुख्य वजह है। हालांकि, कई सुरक्षा विशेषज्ञ इससे असमहति व्यक्त करते हुए कहते हैं कि यह दुर्घटना के सही कारणों की पड़ताल न कर पाने का नतीजा है। जो भी हो, लोग किसी तरह से सुधरने के लिए तैयार नहीं हैं, इसका उदाहरण है लेन अनुशासन का उल्लंघन, विपरीत दिशा में ड्राइविंग के कारण 2022 में हुए 22,586 हादसे, जिनमें 9094 लोगों की जान गई और 21,745 लोग घायल हुए। साल 2021 के मुकाबले इस कारण हादसों में 5.1, मौतों में 12 और घायलों की संख्या में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

    मोबाइल फोन का इस्तेमाल जानलेवा

    तमाम अपील और लोगों को जागरूक करने की कोशिशों के बावजूद लोग ड्राइविंग करते समय मोबाइल के इस्तेमाल को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। 3395 लोगों की मौत वाहन चलाने के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के कारण हुई। वैसे इस कारण 7558 हादसे हुए जिनमें 6255 लोग घायल हुए। यहां भी आंकड़े 2021 के मुकाबले बढ़ गए।

    केवल सरकार की नहीं सड़क सुरक्षा की जिम्मेदारी

    देश में सड़क दुर्घटनाओं की दुखद और शर्मनाक तस्वीर पर अक्सर खुलकर बोलने वाले केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने रिपोर्ट के आंकड़ों पर दुख और चिंता जताते हुए कहा है कि सड़कों को सुरक्षित बनाने की जिम्मदारी केवल सरकार और संबंधित अधिकारियों की ही नहीं है, बल्कि यह साझा जिम्मेदारी राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति की है।

    उन्होंने लोगों से ट्रैफिक नियमों के पालन की अपील करते हुए सीट बेल्ट और हेलमेट सरीखे सुरक्षा के उपकरण अनिवार्य रूप से पहनने के लिए कहा है।

    आंकड़ों पर नजर डालें तो सा 2021 में 4,12,432 हादसे हुए, जिसमें 153972 लोगों की मौत हुई। वहीं 3844482022 घायल हुए, जबकि, 461312 हादसे बढ़े थे। इस तरह हादसों में 11.9 प्रतिशत वृद्धि, 168491 मौत के साछ वृद्धि दर 9.4 प्रतिशत और 443366 घायलों के साथ में वृद्धि 15.3 प्रतिशत रहा था।

    ये भी पढ़ें: Air Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण रोकने के उपायों पर दिल्ली सहित पांच राज्यों से मांगा हलफनामा