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    सड़क पर लापरवाही नहीं बनेगी मौत की वजह, गडकरी का सॉलिड फॉर्मूला; एम्बुलेंस को लेकर नया एलान

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 06:05 PM (IST)

    केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क दुर्घटनाओं में एंबुलेंस पहुंचने में होने वाली देरी पर चिंता व्यक्त की है। यमुना एक्सप्रेसवे पर हादसे के बाद एंबुले ...और पढ़ें

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    केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी। (पीटीआई)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सड़क दुर्घटनाओं के बाद अक्सर यह लापरवाही सामने आती है कि एंबुलेंस काफी विलंब से पहुंची। मंगलवार तड़के यमुना एक्सप्रेसवे पर भी हादसे के एक घंटे बाद एंबुलेंस पहुंचने का मुद्दा कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने राज्य सभा में उठाया तो इसे सरकार ने पूरी गंभीरता से लिया। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ एमओयू करने जा रही है।

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    राज्य किलोमीटर के हिसाब से एंबुलेंस की मांग करेंगे। केंद्र सरकार अपने पैसे से एंबुलेंस उपलब्ध कराएगी, लेकिन शर्त होगी कि वह दुर्घटना के बाद दस मिनट में वहां पहुंचनी चाहिए। राज्य सभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सदस्य ने नेशनल हाईवे की संरक्षा व सुरक्षा के मुद्दे को उठाया।

    उन्होंने यमुना एक्सप्रेसवे पर दुर्घटना के एक घंटे बाद एंबुलेंस पहुंचने का मामला उठाते हुए पूछा कि इस दिशा में सरकार क्या कदम उठाने जा रही है। इस पर केंद्रीय मंत्री गडकरी ने पहले तो यह स्पष्ट किया कि यमुना एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन आता है। साथ ही स्पष्ट किया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि सरकार सड़क सुरक्षा के प्रति गंभीर है।

    उन्होंने बताया कि रोड और आटोमोबाइल इंजीनियरिंग में बहुत सुधार हुए हैं, लेकिन मानवीय स्वभाव (ह्यूमन बिहेवियर) बड़ी समस्या बना हुआ है। स्वयं आंकड़े बताए कि देश में प्रतिवर्ष पांच लाख एक्सीडेंट में लगभग एक लाख 80 हजार मौतें होती हैं। आइआइएम दिल्ली रिपोर्ट का हवाला दिया कि यदि दुर्घटना के घायलों को समय से उपचार उपलब्ध होता तो इनमें से पचास हजार लोगों को जान बचाई जा सकती थी।

    गडकरी ने स्वीकार किया कि दुर्घटना के बाद दस मिनट में एंबुलेंस पहुंचने की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इसे देखते हुए ही राहवीर योजना बनाई है, जिसमें घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालों को पुरस्कृत किया जाता है। इसके साथ ही अब राज्य सरकारों से एमओयू करने जा रहे हैं।

    राज्य किलोमीटर के हिसाब से 100-150, जितनी भी एंबुलेंस मांगेंगे, उन्हें केंद्र सरकार अपने पैसे से उपलब्ध करएगी, लेकिन उनके संचालन का सिस्टम राज्य का होगा। माडर्न एंबुलेंस देने की शर्त सिर्फ यही होगी कि वह हादसे के दस मिनट में पहुंचनी चाहिए।

    सभी राज्यों में एक ही होगा टोल फ्री नंबर

    परिवहन मंत्री ने बताया कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों को पत्र लिखा गया है। अभी कई राज्यों में एंबुलेंस के अलग-अलग टोल फ्री नंबर हैं। केंद्र इस दिशा में काम कर रहा है कि सभी राज्यों में एंबुलेंस का एक ही टोल फ्री नंबर हो।