Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Health News: ज्यादा हीमोग्लोबिन से स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा, न करें नजरअंदाज; बचाव के तरीके हैं आसान

    By Jagran NewsEdited By: Jeet Kumar
    Updated: Mon, 27 Nov 2023 07:04 AM (IST)

    हीमोग्लोबिन के उच्च स्तर को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे रक्त के थक्के जमने का खतरा बढ़ सकता है और कभी-कभी स्ट्रोक दिल का दौरा और पैरों और पेट में रक्त का जमने जैसी खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है। यदि नियमित जांच में उच्च हीमोग्लोबिन स्तर का पता चलता है तो परामर्श के लिए हेमेटोलाजिस्ट से संपर्क किया जाना चाहिए।

    Hero Image
    ज्यादा हीमोग्लोबिन से स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा

     नई दिल्ली, आइएएनएस। खून में मानक स्तर से हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होना आम बात है और उसे बढ़ाने के लिए खानपान से लेकर चिकित्सीय तरीके से तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं। वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इसका स्तर ज्यादा हो जाए तो उससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक तथा रक्त का थक्का जमने का खतरा बढ़ सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पॉलीसिथेमिया नामक एक बीमारी होती है, जिसमें बोन मैरो (रक्त मज्जा) में विकृतियां होने से लाल कोशिकाएं (रेड सेल्स) बढ़ जाती हैं। इन कोशिकाओं की अधिकता से रक्त मोटा हो जाता है, जिससे रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है और यह रक्त थक्का बनने की गंभीर समस्या पैदा कर सकता है।

    पॉलीसिथेमिया के अन्य कारणों में धूमपान, हृदय या फेफड़ों के रोग और लंबे समय तक ऊंचाई पर रहना शामिल हैं। मानकों के अनुसार, पुरुषों के लिए हीमोग्लोबिन का स्तर 16.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर (ग्रा/डीएल) और महिलाओं के लिए 16 ग्रा/डीएल से अधिक होना असामान्य माना जाता है।

    हीमोग्लोबिन के उच्च स्तर को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए

    फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के हेमेटोलाजी एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट विभाग के प्रधान निदेशक डॉ राहुल भार्गव के अनुसार, नियमित रक्त परीक्षण में हीमोग्लोबिन के उच्च स्तर का पता लगाया जा सकता है, जबकि उसके कोई लक्षण भी नहीं सामने आए हों।

    हीमोग्लोबिन के उच्च स्तर को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे रक्त के थक्के जमने का खतरा बढ़ सकता है और कभी-कभी स्ट्रोक, दिल का दौरा और पैरों और पेट में रक्त का जमने जैसी खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है। यदि नियमित जांच में उच्च हीमोग्लोबिन स्तर का पता चलता है तो परामर्श के लिए हेमेटोलाजिस्ट से संपर्क किया जाना चाहिए।

    उन्होंने कहा, ‘आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, हृदय व फेफड़ों की बीमारियों सहित पीलीसिथेमिया के सेकेंडरी कारणों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।’ हीमोग्लोबिन के स्तर का पता लगाने के लिए नियमित रक्त परीक्षण में एक पेरिफेरल स्मीयर, सीरम एरिथ्रोपोइटिन स्तर और नियमित आकलन के लिए जेएके2 म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) का अध्ययन आवश्यक है। कुछेक मामलों में पीलीसिथेमिया का पता लगाने के लिए बोन मैरो की भी जांच की जानी चाहिए।

    उच्च हीमोग्लोबिन के कारण बार-बार सिरदर्द होता है

    संक्रामक रोग विशेषज्ञ डा. नेहा रस्तोगी पांडा के अनुसार, ‘उच्च हीमोग्लोबिन के कारण बार-बार सिरदर्द, धुंधली दृष्टि, गर्म पानी से नहाने के बाद पूरे शरीर में खुजली, दर्द आदि जैसे कई लक्षण हो सकते हैं। यह सूजे हुए जोड़â, स्ट्रोक, दिल का दौरा, पैरों में खून का थक्का आदि जैसी बड़ी समस्याएं भी पैदा कर सकता है।’ ऐसे में रक्त थक्का जमने के खतरे से बचाव के लिए धूमपान छोड़ना फायदेमंद हो सकता है।

    साथ ही डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित किया जाना चाहिए, क्योंकि वे स्ट्रोक और दिल के दौरे के लिए स्वतंत्र जोखिम कारक हैं। पॉलीसिथेमिया के उपचार में शरीर से रक्त निकालना शामिल है- इस प्रक्रिया को फ्लेबोटामी कहा जाता है। एस्पिरिन जैसे रक्त को पतला करने वाली दवाएं और हाइड्रोक्सीयूरिया जैसी दवाएं जो अस्थि मज्जा को बढ़ी रेड सेल्स के उत्पादन को रोकने में मदद करती हैं। इसका उपयोग बचाव के लिए किया जा सकता है।