जब पाकिस्तानी सैनिक ने कहा- अगर भारत के अधिकारी और पाकिस्तान के जवान साथ मिल जाएं तो... रिटायर मेजर ने सुनाई कहानी
सेवानिवृत्त मेजर जनरल लखविंदर सिंह ने एक ऐसी घटना साझा की है, जो भारतीय अधिकारियों के आगे बढ़कर नेतृत्व करने के जज्बे को उजागर करती है। युद्ध समाप्ति ...और पढ़ें

सेवानिवृत्त मेजर जनरल लखविंदर सिंह ने सुनाई कहानी (फोटो- जेएनएन)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।16 दिसंबर को मनाए जाने वाले विजय दिवस पर 1971 के भारत-पाक युद्ध की यादें ताजा हो जाती हैं। इस युद्ध में भारतीय सेना की निर्णायक जीत ने न केवल पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर किया, बल्कि बांग्लादेश के जन्म को भी जन्म दिया।
सेवानिवृत्त मेजर जनरल लखविंदर सिंह ने एक ऐसी घटना साझा की है, जो भारतीय अधिकारियों के आगे बढ़कर नेतृत्व करने के जज्बे को उजागर करती है। युद्ध समाप्ति के बाद एक पाकिस्तानी सैनिक की यह टिप्पणी आज भी भारतीय सेना की बहादुरी और नेतृत्व की मिसाल बनती है।
77 वर्षीय सेवानिवृत्त मेजर जनरल लखविंदर सिंह, जो 1971 के युद्ध में डेरा बाबा नानक सेक्टर में तोपखाने की रेजिमेंट में कैप्टन के रूप में तैनात थे, ने एक यादगार घटना याद की। युद्धविराम के बाद ईद के मौके पर मिठाई आदान-प्रदान के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय तोपखाने की गोलीबारी से हुए भारी नुकसान का जिक्र किया।
तब एक पाकिस्तानी सैनिक ने कहा, "अगर भारत के अधिकारी और पाकिस्तान के जवान मिल जाएं तो दुनिया में कोई हमें शिकस्त नहीं दे सकता।"उन्होंने कहा, "मैं बस मुस्कुराया और उन्हें धन्यवाद दिया।"
मेजर जनरल सिंह ने इसे भारतीय अधिकारियों के आगे बढ़कर नेतृत्व करने के लोकाचार का प्रमाण बताया, जो पाकिस्तानी अधिकारियों से अलग है। उन्होंने बताया कि 1971 में मोर्चे पर ज्यादातर पाकिस्तानी जेसीओ और एनसीओ ही लड़ते दिखे, जबकि कारगिल युद्ध में भी ऐसी ही टिप्पणियां सुनने को मिलीं। यह घटना भारतीय सेना के साहस और नेतृत्व की पीढ़ी-दर-पीढ़ी गूंजती कहानी को दर्शाती है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।