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    ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ आंदोलन करेंगे व्यापारी, उड़ीसा में होने जा रही बड़ी बैठक; जानिए क्या है इनकी मांग

    Updated: Wed, 23 Apr 2025 08:18 PM (IST)

    फिलहाल देश में ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए कोई नीति नहीं है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ई-कॉमर्स नीति तैयार कर रहा है। अपने हिसाब से नियम तय करने पर ई-कॉमर्स कंपनियों की यह दलील होती है कि भारत में ई-कॉमर्स को लेकर जब कोई नीति ही नहीं है तो वह पालन किन नीतियों का करे।

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    ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स के खिलाफ आंदोलन करेंगे व्यापारी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश भर के खुदरा व्यापारी अब ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं। खुदरा व्यापारी संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट), आर्गेनाइज्ड रिटेल एसोसिएशन, मोबाइल रिटेल एसोसिएशन व ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रिब्यूटर्स फेडरेशन ने आगामी एक मई से ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का फैसला किया है।

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    भाजपा सांसद और कैट के महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि इस सप्ताह उड़ीसा में कैट व अन्य संगठनों की बैठक होने जा रही है जिसमें आंदोलन का पूरा खाका तैयार कर लिया जाएगा। आंदोलन में महिला उद्यमियों के साथ गिग वर्कर्स और ट्रांसपोर्टर्स को भी जोड़ा जाएगा।

    ई-कॉमर्स नीति का अब भी इंतजार

    ग्राहकों को भी ई-कॉमर्स कंपनियों की गलत नीतियों के बारे में जागरूक किया जाएगा। ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रिब्यूटर्स फेडरेशन के मुताबिक ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी नीतियों की वजह से पिछले पांच साल में देश भर में 10 लाख खुदरा दुकानें बंद हो चुकी हैं। देश भर में सवा करोड़ खुदरा दुकान होने का अनुमान है।

    खुदरा व्यापारियों का मुख्य आरोप है कि ई-कॉमर्स कंपनियां गलत नीतियां अपनाकर कम दाम पर सामान बेचती है, जिस वजह से खुदरा व्यापारी उनका मुकाबला नहीं कर पाते हैं। कैट ने सरकार से जल्द से जल्द ई-कॉमर्स नीति लागू करने की भी मांग की है। खुदरा व्यापारियों को पिछले चार सालों से ई-कॉमर्स नीति का इंतजार है।

    वर्ष 2030 तक ई-कॉमर्स कंपनियों का कारोबार 325 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। वहीं, दस से 30 मिनट में सामान पहुंचाने वाली क्विक कामर्स कंपनियों का कारोबार भी तेजी से फैलता जा रहा है और वर्ष 2029 तक क्विक कॉमर्स कंपनियों का कारोबार 10 अरब डॉलर का हो जाएगा। अभी उनका कारोबार 3.35 अरब डॉलर का है।

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