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    RBI का हैकाथॉन प्रोग्राम बदल सकता है भारतीय बैंकिंग की तस्वीर, डिजिटल भुगतान होगा और आसान

    By Jagran NewsEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Sun, 15 Oct 2023 09:34 PM (IST)

    भारतीय रिजर्व बैंक की अगुवाई में जल्द ही भारतीय बैंकिंग सेक्टर में ऐसी सुविधा का इस्तेमाल शुरू हो सकता है जिससे एक दृष्टिहीन ग्राहक के लिए बैंकिंग लेन-देन करना एटीएम से पैसा निकलना डिजिटल भुगतान करना एकदम आसान हो जाए। इसी तरह से एक ऐसी तकनीक सामने आई है जिससे देश के किसी भी हिस्से में डिजिटल रूपये का इस्तेमाल किया जा सकेगा।

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    RBI का हैकाथॉन प्रोग्राम बदल सकता है भारतीय बैंकिंग की तस्वीर (Image: ANI)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वैश्विक मंच पर भारत के वित्तीय सेक्टर के डिजटलीकरण का डंका पहले से ही बजा हुआ है, लेकिन अब जो काम आरबीआइ के स्तर पर हो रहा है वह ना सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक बैंकिंग सेक्टर में भी बड़ा बदलाव वाला साबित हो सकता है।

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    जैसे आरबीआइ की अगुवाई में जल्द ही भारतीय बैंकिंग सेक्टर में ऐसी सुविधा का इस्तेमाल शुरू हो सकता है जिससे एक दृष्टिहीन ग्राहक के लिए बैंकिंग लेन-देन करना, एटीएम से पैसा निकलना, डिजिटल भुगतान करना एकदम आसान हो जाए।

    डिजिटल रूपये का होगा इस्तेमाल

    इसी तरह से एक ऐसी तकनीक सामने आई है जिससे देश के किसी भी हिस्से में डिजिटल रूपये (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी -सीबीडीसी-आर) का इस्तेमाल किया जा सकेगा और इसके लिए इंटरनेट कनेक्शन की अनिवार्यता भी नहीं होगी। ये आरबीआइ की तरफ से चयनिक कुछ नये प्रौद्योगिक हैं, जिनका आने वाले दिनों में बैंकिग सेक्टर में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो सकता है।

    दिव्यांगों के लिए बनेगा खास कार्ड

    केंद्रीय बैंक वैश्विक हैकाथॉन (कम समय में किसी निर्धारित समस्या का तकनीक आधारित समाधान निकालने के लिए आयोजित प्रतियोगिता) का कार्यक्रम चला रहा है, जिसके तहत घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्ताव मंगाये जाते हैं। पिछले शुक्रवार को आरबीआइ ने चार क्षेत्रों में विजयी प्रस्तावों की घोषणा की है। इसमें दिव्यांगों के लिए एक ऐसा कार्ड बनाने की व्यवस्था होगी, जिसे वह एटीएम मशीनों या दूसरे पेंमेंट मशीनों में सिर्फ टच कराने भर से ओटीपी की रीडिंग हो जाएगी।

    AI की मदद से भर सकेंगे पिन नंबर

    अभी दिव्यांगों के लिए ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) के इस्तेमाल की कोई तकनीक नहीं है। इस श्रेणी में एक कंपनी (पीओएस मिरर इंडिया) की ऐसी प्रौद्योगिक को स्वीकृति दी गई है जिससे दिव्यांग जन फोन के कैमरे और आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस के जरिए पिन भर सकेंगे। ये सिर्फ दो उदाहरण उन प्रौद्योगिकियों के हैं जिनका चयन आरबीआइ ने किया है और ये बहुत जल्द भारतीय बैंकिग सेक्टर में इस्तेमाल हो सकेंगे।

    आरबीआइ ने दो ऐसी प्रौद्योगिक आधारित वित्तीय सेवा प्लेटफार्म का भी चयन किया है जो बताता है कि डिजिटल रुपये को लेकर केंद्रीय बैंक बहुत दूर की सोच रहा है। हाल ही में आरबीआइ ने प्रायोगिक तौर पर डिजिटल करेंसी-रुपये (सीबीडीसी-आर) को प्रायोगिक तौर पर कुछ बैंकों में शुरुआत की है। अब आरबीआइ ने इसका विस्तार करने का फैसला किया है। केंद्रीय बैंक की मंशा आने वाले दिनों में मोबाइल एप के जरिए डिजिटल करेंसी का विस्तार करने की है।

    मोबाइल एप के जरिए डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल

    इस श्रेणी में डिग्नीफाइंग वेंचर्स नाम की भारतीय कंपनी की तकनीक का चयन किया गया है जो देश के उन इलाकों में भी मोबाइल एप के जरिए डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल की सुविधा दे सकती है, जहां इंटरनेट कनेक्शन नहीं है। इस एप की एक खासियत यह होगी कि जिनके पास डिजिटल रुपये को स्वीकार करने के लिए बैंकिंग खाता नहीं होगा उन्हें भी इसके जरिए भुगतान किया जा सकेगा। यह हर तरह के फोन पर काम कर सकेगा। आरबीआइ का कहना है कि अगर नियमन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा कर लिया जाता है तो उक्त सभी प्रौद्योगिकियों के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की संभावना है। इनसे देश में वित्तीय सेवा देने की प्रक्रिया और आसान हो जाएगी।

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