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पदोन्नति में आरक्षण को लेकर उठे विवाद, रास्ता तलाशने में जुटी केंद्र सरकार

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने और विधेयक जैसे कदमों पर शुरु हुआ मंथन।कानूनी पहलुओं के अध्ययन के लिए भी लगाई टीम कई राज्यों में इसे लेकर है विवाद।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 09:31 PM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 08:46 AM (IST)
पदोन्नति में आरक्षण को लेकर उठे विवाद, रास्ता तलाशने में जुटी केंद्र सरकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पदोन्नति में आरक्षण को लेकर उठे विवाद के बड़ा बवाल बनने से पहले ही केंद्र सरकार इसका रास्ता तलाशने में जुट गई है। उन सारे कानूनी पहलुओं को लेकर विचार हो रहा है जो संभव है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने और संसद में इसे लेकर विधेयक लाने जैसे विकल्पों को भी प्रमुखता से रखा गया है।

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इस बीच सरकार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को इससे जुडे कानूनी पहलुओं को जुटाने के काम में लगाया है। साथ ही उन राज्यों से भी संपर्क करने को कहा है, जहां पदोन्नति में आरक्षण को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। मौजूदा समय में अकेले उत्तराखंड ही नहीं,बल्कि देश के कई राज्यों में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर विवाद चल रहा है। इनमें मध्य प्रदेश, बिहार जैसे राज्य शामिल है। जिनके मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसके साथ ही कानूनविदों के साथ भी चर्चा शुरु कर दी गई है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को सक्रियता से लगाया गया है। जबकि पीएमओ के स्तर पर भी मंथन चल रहा है।

इससे पहले सरकार ने एससी- एसटी उत्पीड़न विरोधी कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से आए फैसले को लेकर भी इसी तरह से एक विधेयक संसद में लाया था। जिसके तहत उनके उत्पीड़न को रोकने के कानून के पुराने स्वरूप को फिर से बहाल कर दिया था।

सूत्रों के मुताबिक यदि विधेयक लाने का फैसला हुआ, तो इसे बजट सत्र के दो मार्च से शुरु होने वाले अगले चरण में संसद में पेश किया जाएगा। एक मत पुनर्विचार याचिका का भी है लेकिन वैसी स्थिति में मामला कोर्ट मे रहते हुए विधेयक लाना थोड़ा असहज हो सकता है।

पदोन्नति में आरक्षण का यह विवाद उस समय शुरु हुआ, जब उत्तराखंड के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि यह मौलिक अधिकार नहीं है। राज्य सरकारें इस पर अपने विवेक से फैसला कर सकती है।


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