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    सेकेंड हैंड मोबाइल फोन खरीदने वालों के लिए जरूरी खबर, सरकार के नए नियम में क्या-क्या?

    By RAJEEV KUMAREdited By: Garima Singh
    Updated: Thu, 27 Nov 2025 08:30 PM (IST)

    संचार मंत्रालय ने साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए मोबाइल फोन के नए नियम जारी किए हैं। अब फोन नंबर का सत्यापन आसान होगा और चोरी के फोन की बिक्री पर रोक लगेगी। बैंकों और अन्य सेवा प्रदाताओं को नंबर सत्यापन की सुविधा मिलेगी। पुराने फोन बेचने वालों को आईएमईआई नंबर की जांच करनी होगी। सरकार ने जानकारी साझा करना अनिवार्य कर दिया है।

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    अब आसान नहीं होगा फोन रिसेल करना

    राजीव कुमार, नई दिल्ली। संचार मंत्रालय ने साइबर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मोबाइल फोन संबंधी कुछ नए नियम लागू किए हैं ताकि हर फोन नंबर का आसानी से सत्यापन हो सके। चोरी के मोबाइल फोन की बिक्री पर रोक लग सके।

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    बैंक व अन्य प्रकार की सेवा देने वाली संस्था मोबाइल फोन नंबर का सत्यापन करा सकेंगी ताकि यह पता लग सके कि वाकई में यह सेवा वहीं व्यक्ति ले रहा है जिसके नाम प र मोबाइल फोन का नंबर है। किसी दूसरे का नंबर इस्तेमाल करके अभी म्युल खाते बैंकों में खोल दिए जाते हैं जबकि जिनके नाम पर खाते में दिया गया नंबर होता है, उसे खाते में बारे में पता नहीं होता है।

    सेकेंड हैंड मोबाइल फोन पर नियम लागू

    इस सत्यापन के लिए संचार विभाग ने मोबाइल नंबर वेलिडेशन (एमएनवी) प्लेटफार्म शुरू किया है। इस प्लेटफार्म पर जैसे ही किसी व्यक्ति का मोबाइल नंबर डाला जाता है, वह जानकारी टेलीकाम आपरेटर के पास चली जाती है।

    टेलीकाम आपरेटर पूरी पड़ताल करके उसे फिर से एमएनवी सिस्टम पर डाल देता है।विभाग के नए नियम के मुताबिक अब पुराने फोन बेचने वाले सभी फोन का आईएमईआई नंबर की जांच जरूर करेंगे।

    एमएनवी प्लेटफार्म हुआ एक्टिव

    विभाग द्वारा इस जांच के लिए ब्लैकलिस्टेड फोन का एक केंद्रीकृत डाटाबेस तैयार किया गया है। अगर किसी फोन का आईएमईआई नंबर इस डाटाबेस में है तो इसका मतलब है कि उस फोन की बिक्री अवैध है।

    सरकार ने टेलीकाम आइडेंटिफायर यूजर इनटिटी के तहत मोबाइल फोन से संबंधित जानकारी को सरकार से साझा करना अनिवार्य कर दिया है। वैसे संचार साथी पोर्टल पर जाकर कोई भी व्यक्ति यह भी जांच सकता है कि उसके नाम पर मोबाइल फोन के कितने सिम जारी हो चुके हैं।

    कई बार यूजर को पता भी नहीं होता है और फर्जी तरीके से उसके नाम पर सिम जारी कर दिया जाता है जिससे साइबर फ्राड को अंजाम दिया जाता है।