Move to Jagran APP

गंगा के गंगत्व में कोरोना से लड़ने की क्षमता पर शोध की जरूरत

सेना के रिटायर अधिकारियों ने कोरोना के संभावित इलाज के लिए लिखा प्रधानमंत्री को पत्र

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 03 Apr 2020 05:31 PM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2020 05:31 PM (IST)
गंगा के गंगत्व में कोरोना से लड़ने की क्षमता पर शोध की जरूरत
गंगा के गंगत्व में कोरोना से लड़ने की क्षमता पर शोध की जरूरत

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गंगा की मुंडमन पैदल परिक्त्रमा करने वाले सेना के रिटायर अफसरों के संगठन का दावा है 'गंगा के गंगत्व में कोरोना जैसे अनजान वायरस की महामारी से लड़ने की क्षमता है, जिस पर शोध की जरूरत है।' इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पत्र लिखा है। सेना के इन अफसरों का कहना है कि गंगा जल में क्यूरेटिव प्रापर्टी है जो कोरोना जैसी महामारी के इलाज में कारगर साबित हो सकती है।

loksabha election banner

उन्होंने अपने पत्र में आइआइटी रुड़की, आइआइटी कानपुर, भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान लखनऊ, इमटेक, सूक्ष्म जैविकीय अध्ययन केंद्र और नीरी के गंगा जल पर किये अनुसंधान के नतीजों का हवाला देते हुए कहा है कि गंगा का वायरस कुछ मामलों में बहुत असरकारक है। विभिन्न अध्ययनों में यह साबित हो चुका कि हैजा, पेचिश, मेनिन्जाइटिस और टीबी जैसी गंभीर रोगों के बैक्टीरिया भी गंगाजल में टिक नहीं पाते। आइआइटी रूड़की से जुड़े रहे वैज्ञानिक देवेंद्र स्वरूप भार्गव का शोध है कि गंगा का गंगत्व उसकी तलहटी में ही मौजूद है। कई अन्य शोधों में यह भी पाया गया कि बैक्टेरियोफाज कुछ वायरस पर भी असरकारक हैं।

रिटायर्ड कर्नल और अतुल्य गंगा के संस्थापक मनोज किश्र्वर का कहना है कि गंगा की क्युरेटिव प्रापर्टी को बचाना बहुत जरूरी है। गंगा ने पहले भी मानवजाति को संकट से बचाया है और बहुत कुछ संभव है कि कोरोना जैसी महामारी से हमें गंगा ही बचाने में सहायक साबित हो। गंगा का गंगत्व (बैक्टीरिया खाने वाला वायरस) ही है जिससे हमारी महान नदी सभ्यता की पहचान है। एक समय था जब दुनिया की चार बड़ी नदियों में ये बैक्टेरियोफाज पाया जाता था। समय की मार ने बाकी तीन नदियों और उनकी सभ्यताओं को मिटा दिया। अब सिर्फ गंगा ही बची है, जिसमें यह अमृत तत्व मौजूद है।

किश्र्वर का कहना है कि कोरोना संकट में गंगा का गंगत्व इस वायरस से बचाव में सर्वाधिक सक्षम हो सकता है। इसलिए रेसिस्टेंट बैक्टीरिया से लड़ने में गंगा जल की क्षमता को मापने वाले अनुसंधान कार्य जरूर कराये जाएं। इससे भविष्य में होने वाली अनदेखी बीमारियों से लड़ने मिलेगी।

पूर्व सैन्य अधिकारियों ने गंगा नदी की गदंगी का सफाया करने की मुहिम छेड़ी है जिसका नाम अतुल्य गंगा हैं 7 पूर्व सैन्य अधिकारियों का दल गंगा उद्गम स्थल गोमुख से बंगाल की खाड़ी तक गंगा के किनारे को पैदल नापेंगे। इस यात्रा का उद्देश्य पर्यटन नहीं बल्कि गंगा नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाना है. यात्रा में पूर्व सैन्य अधिकारियों का सहयोगी गूगल और आइआईटी दिल्ली भी बन रहा है। गंगा नदी में हर जगह प्रदूषण का स्तर और पानी का बहाव जैसे तमाम बिंदुओं की जांच होगी। इसकी जिओ टैगिंग भी की जाएगी। इस साल से शुरू होने वाली यह मुहिम अगले 11 वषरें तक चलेगी. आइआईटी के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक जैसे तमाम लोग भी पूर्व सैनिकों का साथ देंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.