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    'बार-बार आत्महत्या की धमकी देना क्रूरता', HC ने युवक को दी तलाक की अनुमति

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 04:01 PM (IST)

    उच्च न्यायालय ने एक युवक को तलाक की अनुमति दी है, यह कहते हुए कि बार-बार आत्महत्या की धमकी देना क्रूरता है। अदालत ने माना कि पत्नी का ऐसा व्यवहार मानसिक पीड़ा का कारण बनता है, जिससे विवाह को बनाए रखना असंभव हो जाता है। न्यायालय ने फैमिली कोर्ट के फैसले को पलट दिया और युवक को तलाक की अनुमति दी, क्योंकि पत्नी का आचरण क्रूरता की श्रेणी में आता है।

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    बॉम्बे हाईकोर्ट। (फाइल)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को तलाक देते हुए कहा कि जीवनसाथी द्वारा बार-बार आत्महत्या की धमकी देना क्रूरता है। मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने पिछले सप्ताह पारित अपने आदेश में कहा कि जब ऐसा आचरण दोहराया जाता है तो दूसरे पति या पत्नी के लिए वैवाहिक संबंध जारी रखना असंभव हो जाता है।

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    यह आदेश उस व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया, जिसमें उसने तलाक के लिए उसके आवेदन को खारिज करने वाले पारिवारिक न्यायालय के 2019 के आदेश को चुनौती दी थी।

    2012 से अलग रह रहे थे पति-पत्नी

    याचिका के अनुसार, व्यक्ति की शादी 2006 में हुई थी, लेकिन वैवाहिक कलह के कारण वह और उसकी पत्नी 2012 से अलग रह रहे हैं। व्यक्ति ने दावा किया कि परित्याग और संदेह के साथ-साथ आत्महत्या की धमकी और प्रयास हिंदू विवाह अधिनियम के तहत उसे तलाक देने के आधार थे।

    जीवनसाथी द्वारा आत्महत्या की धमकी देना क्रूरता- कोर्ट

    पीठ ने अपने आदेश में कहा कि दंपती एक दशक से भी ज्यादा समय से अलग रह रहे हैं और उनके बीच न तो कोई सौहार्दपूर्ण समझौता हो पाया है और न ही सुलह हो पाई है। अदालत ने कहा कि पति ने क्रूरता के कई मामलों का जिक्र किया था, लेकिन पारिवारिक अदालत ने उन पर विचार नहीं किया। पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि जीवनसाथी द्वारा आत्महत्या की धमकी देना क्रूरता है।

    हाईकोर्ट ने कहा, "जब ऐसा व्यवहार बार-बार दोहराया जाता है, चाहे शब्दों, संकेतों या हाव-भावों के जरिए, तो दूसरे जीवनसाथी के लिए शांतिपूर्ण माहौल में वैवाहिक संबंध जारी रखना असंभव हो जाता है।"

    दंपती के लिए अब साथ रहना संभव नहीं- कोर्ट

    अदालत ने कहा कि संदेह के आरोप और आत्महत्या के प्रयास, पति के प्रति पत्नी के व्यवहार को दर्शाते हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि दंपती के लिए अब साथ रहना संभव नहीं है और इसलिए तलाक का आदेश दिया जाना चाहिए।

    कोर्ट ने दी तलाक को मंजूरी

    हाईकोर्ट ने कहा, "ऐसी शादी जारी रखने से दोनों पक्षों के बीच एक-दूसरे पर हो रही क्रूरता और बढ़ेगी।" व्यक्ति को तलाक की अनुमति देते हुए पीठ ने उसे अंतिम निपटान के तौर पर 25 लाख रुपये देने और दो फ्लैटों का स्वामित्व महिला को हस्तांतरित करने का निर्देश दिया।

    (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)