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    प्रसिद्ध लेखक और कवि बी.एल.गौड़ केंद्रीय अनुदान समिति का सदस्य नामित

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Tue, 29 Dec 2020 06:41 PM (IST)

    स्वैछिक हिंदी संस्थाओं को वित्तीय सहायता योजना तथा हिंदी में प्रकाशन अनुदान योजना के अंतर्गत वित् वर्ष 2020 - 2021 तथा 2021 - 2022 के लिए केंद्रीय अनुदान समिति का पुनर्गठन किया गया। इसमें जाने माने लेखक व कवि बी.एल.गौड़ को केंद्रीय अनुदान समिति का सदस्य नामित किया गया है।

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    प्रसिद्ध लेखक और कवि बी.एल.गौड़ (फाइल फोटो)

    दिल्ली, एजेंसी। शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा संचालित एवं कार्यान्वित की जा रही हिन्दी की प्रोन्नति के लिए स्वैछिक हिंदी संस्थाओं को वित्तीय सहायता योजना तथा हिंदी में प्रकाशन अनुदान योजना के अंतर्गत वित् वर्ष 2020 - 2021 तथा 2021 - 2022 के लिए केंद्रीय अनुदान समिति का पुनर्गठन किया गया। इसमें जाने माने लेखक व कवि बी.एल.गौड़ को भारत सरकार द्वारा केंद्रीय अनुदान समिति का सदस्य नामित किया गया है।

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    बी.एल.गौड़ का साहित्य जगत में बहुत बड़ा योगदान रहा है। सिविल इंजीनियर होने के के साथ साथ गौड़ अनेक साहित्यिक संस्थाओं से न केवल जुड़े हैं बल्कि अच्छे पदों पर भी हैं। उनके द्वारा साहित्य के छोटे से सफर में चौदह पुस्तकें लिखीं हैं जिन्हें बहुत ही सराहा गया है । इसके अलावा गौड़ द्वारा चार पुस्तकें और भी प्रकाशित होने की प्रक्रिया में हैं।

    गौड़ पहले हिंदी संस्कृति मंत्रालय के सलाहकार भी रह चुके हैं और हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में उनका अहम् योगदान रहा है। उन्होंने 14 किताबें लिखी हैं जो देश विदेश में सराही गई हैं. इसी वर्ष उनकी पुस्तक कैसे बनें विश्वकर्मा का अनावरण केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा किया गया और इस पुस्तक को भी पाठकों का स्नेह मिला. कोरोना काल में भी उन्होंने वेबिनार के जरिये हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार किया। बी.एल. गौड़ 1958 से 1989 तक इंडियन रेलवे में सिविल इंजीनियर के रूप में कार्य किया। उसके पश्चात रेल विभाग से स्वैछिक सेवा निवृति लेकर स्वयं का उद्योग निर्माण क्षेत्र में स्थापित किया।

     गौड़ ने इसपर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि मैं इस सम्मान के लिये केंद्रीय हिंदी निदेशालय का आभारी हूँ। नव वर्ष की बधाई देते हुए उन्होंने अपने सभी पाठकों का उनके स्नेह के लिए भी धन्यवाद् दिया।