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    Munawwar Rana Died: अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते थे मुनव्वर राना, आज किया जाएगा सुपुर्द-ए-खाक

    Updated: Mon, 15 Jan 2024 06:30 AM (IST)

    मशहूर शायर मुनव्वर राना का 71 वर्ष की आयु में रविवार रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। सोमवार को उन्हें सिपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। मुनव्वर राना उर्दू साहित्य के बड़े नाम थे। 26 नवंबर 1952 को रायबरेली में जन्मे राना को 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। वह अपनी बेबाक बयानबाजी के लिए भी जाने जाते थे।

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    मशहूर शायर मुनव्वर राना का निधन। फाइल फोटो।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मशहूर शायर मुनव्वर राना का रविवार देर रात को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उन्होंने 71 वर्ष की उम्र में लखनऊ के पीजीआई में अंतिम सांस ली। मुनव्वर राना लंबे समय से बीमार चल रहे थे, जिसके कारण उन्हें पीजीआई के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। वह लंबे समय से गले के कैंसर से पीड़ित थे।

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    सोमवार को किया जाएगा सुपुर्द-ए-खाक  

    मुनव्वर राना की बेटी सुमैया राना ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि उनके पिता का  लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में निधन हो गया और सोमवार को उनको सुपुर्द-ए-खाक (अंतिम संस्कार) किया जाएगा। उनके परिवार में उनकी पत्नी, चार बेटियां और एक बेटा है। मुनव्वर का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में हुआ था। 2014 में उन्हें उनकी लिखी कविता शाहदाबा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था। हालांकि, बाद में उन्होंने इसे सरकार को वापस लौटा दिया था।

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    भावुक हुए वसीम बरेलवी

    प्रसिद्ध शायर प्रो. वसीम बरेलवी मुनव्वर के निधन से भावुक हो गए। उन्होंने फोन पर दैनिक जागरण से कहा कि मुनव्वर के साथ दर्जनों बार मंच साझा किया। वो देर से मंच पर आए मगर, अमिट छाप छोड़ी। उनके जाने से उर्दू-साहित्य का बड़ा नुकसान हुआ है। याद किया- "वो मुझे छोड़के यूं आगे बढ़ा जाता है, जैसे अब मेरा सफर खत्म हुआ जाता है।" बोले, सामान्य तौर पर गजल इश्किया इजहार के लिए जानी जाती थी। इससे इतर मुनव्वर ने मां व अन्य रिश्तों को भी गजल के माध्यम से प्रस्तुत किया, जो यादगार रहेगा।

    कोलकाता में बिताया अधिक समय

    मालूम हो कि मुनव्वर का जन्म भले ही उत्तर प्रदेश में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना ज्यादातर जीवन  कोलकाता में बिताया। मुनव्वर उर्दू के शायर थे, लेकिन वे अपनी शेरों में अवधी और हिंदी शब्दों का प्रयोग प्रमुखता से करते थे। यही कारण है कि उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ती चली गई। मुनव्वर एक उम्दा शैली के शायर थे। उनकी कलम के प्रेम का अधिकांश हिस्सा मां के लिए होता था। उनकी कविता 'मां' सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से एक मानी जाती है।  

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    'मां' कविता ने दिलाई विशेष पहचान

    मुनव्वर राना अपने बेबाक बोलने के अंदाज के लिए जाने जाते रहे हैं।  उर्दू में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने अपने गजलों और कविताओं से लोगों के दिलों में जगह बनाया। अपनी लेखनी में हिंदी और अवधी शब्दों का वह अक्सर प्रयोग किया करते थे, जिसको भारतीय श्रोताओं द्वारा बहुत ही पसंद किया जाता था। उनकी सबसे प्रसिद्ध कविताओं में 'मां' कविता शामिल है, जिसको लोगों द्वारा खासा पसंद किया जाता है। इस कविता में उन्होंने मां के गुणों को बताया है।  

    जब लौटाया था अपना पुरस्कार

    मुनव्वर राना उन  लोगों में शामिल थे, जिन्होंने असहिष्णुता के मुद्दे पर अपना पुरस्कार लौटा दिया था। उन्होंने इस पुरस्कार को लौटाते हुए कहा था कि साहित्यकारों और लेखकों को किसी न किसी पार्टी से जोड़ा जा रहा है। किसी को कांग्रेसी तो किसी को भाजपाई कहा जा रहा है। मैं मुसलमान हूं मुझे पाकिस्तानी भी करार दिया जा सकता है। इस देश में बिजली के तार नहीं जुड़े हैं, लेकिन मुसलमानों के तार दाऊद इब्राहीम से जोड़ दिया जाता है।

    मुनव्वर ने क्यों कहा था योगी सरकार बनी तो कर लूंगा पलायन?

    अपने विवादित बयानों से चर्चा में रहने वाले शायर मुनव्वर राना ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए साल 2022 में कहा था कि यूपी में योगी की सरकार बनी तो मैं पलायन कर लूंगा। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कैराना का जिक्र भी किया था। उन्होंने कहा था कि कैराना से दस हिंदुओं के पलायन का जिक्र किया जाता है तो हजारों मुसलमान भी यहां से पलायन कर रहे हैं, जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। सीएम योगी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा था कि मुसलमान ने अपने घरों में छुरी तक रखना बंद कर दिया है कि पता नहीं कब योगी उनको बंद करवा दें।

    नोटः यह खबर एजेंसी और जागरण न्यूज नेटवर्क के इनपुट पर बनाई गई है।